इंदौर। भूमाफिया के खिलाफ शुरू हुई जमीन की जंग पिछली मुहिमों की तरह इस बार भी ठंडी पड़ गई, जिसके चलते अदालतों से जमानतें भी होने लगी। एक बार फिर सहकारिता विभाग के साथ-साथ पुलिस महकमा भी इन भूमाफियाओं का मददगार साबित होने लगा, तो भोपाल में बैठे कई बड़े नेता-अफसरों से भी इन माफियाओं की सेटिंग होने की खबरें मिलने लगी। लम्बी फरारी के बाद चर्चित भूमाफिया दीपक मद्दे के भी शहर लौट आने की चर्चा है। बीते दिनों उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर में एक-एक कर जमानतें मिलने लगी। पूर्व में चली मुहिम में भी लम्बी फरारी काटने के बाद मद्दे ने इसी तरह कोर्ट से जमानत हासिल कर ली थी। दूसरी तरफ कई संस्थाओं के सदस्य भूखंड हासिल करने के लिए पहले की तरह ही चप्पलें घीस रहे हैं और बार-बार अपनी शिकायतें दर्ज करवा रहे हैं। हालांकि प्रशासन की सख्ती के चलते हजारों पीडि़तों को न्याय भी पिछले दो सालों में मिला है। अयोध्यापुरी, पुष्प विहार सहित कई कालोनियों में भूखंड बांटे गए।
2009-10 में भी मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने जोर-शोर से गृह निर्माण संस्थाओं में हुए फर्जीवाड़े की जांच शुरू करवाई और लगभग 6 महीने तक यह मुहिम चली, जिसमें बॉबी छाबड़ा सहित कुछ भू-भूमाफिया जेल भी भेजे गए। मगर दिलीप सिसौदिया उर्फ दीपक जैन मद्दे ने फरारी काटी और फिर जब मुहिम ठंडी पड़ी तो जमानत हासिल कर फिर संस्थाओं के गोरख धंधे शुरू कर दिए। उसके बाद दूसरी मुहिम तत्कालीन कांग्रेस सरकार के वक्त शुरू हुई, जब मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जीतू सोनी के साम्राज्य को जमींदोज करने के अलावा अन्य माफियाओं के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई करवाई।
मगर यह मुहिम थोड़े ही दिन चल सकी, क्योंकि कोविड और उसके बाद सत्ता ही कांग्रेसियों से भाजपा ने छीन ली। फरवरी 2021 में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने ऑपरेशन माफिया शुरू करवाया और इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह ने दबंगता से इन भू-भूमाफियाओं के खिलाफ मुहिम छेड़ी और कई एफआईआर दर्ज करवाई, जिसमें दीपक मद्दे के खिलाफ भी आधा दर्जन एफआईआर हुई, जिसके चलते वह एक बार फिर फरार हो गया। अयोध्यापुरी, पुष्प विहार जैसी चर्चित कॉलोनियों में सैंकड़ों सदस्यों को प्रशासन ने भूखंड भी उपलब्ध करवाए और अन्य संस्थाओं की भी जांच कर घोटाले पकड़े। मगर उसके बाद फिर कोविड की दूसरी लहर और अन्य कार्यों के चलते मुहिम ठंडी भी पडऩे लगी और इसका फायदा फिर भूमाफिया उठाने लगे।
भोपाल के आला अफसरों, मंत्री और अन्य नेताओं को साधने का काम भी होने लगा, तो दूसरी तरफ पुलिस महकमा भी मददगार साबित हुआ। पूर्व में भी कोर्ट में प्रकरण दर्ज होने के बाद जब मुहिम ठंडी पड़ती है तो पुलिस द्वारा मदद शुरू हो जाती है। वहीं पिछले दिनों सहकारिता विभाग के भोपाल बैठे अफसरों ने भी इस तरह के आदेश जारी कर दिए कि पुलिस-प्रशासन गृह निर्माण संस्थाओं से संबंधित शिकायतों पर सीधी कार्रवाई न करे और हाईकोर्ट ने भी इस तरह के निर्देश दिए। जबकि हकीकत यह है कि बिना पुलिस-प्रशासन के पीडि़तों को न्याय मिल ही नहीं सकता, क्योंकि सहकारिता विभाग पर तो सालों से भूमाफिया ने ही कब्जा कर रखा है।
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