नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Former Prime Minister Rajiv Gandhi) हत्याकांड मामले में 30 साल से सजा काट रहे ए जी पेरारिवलन (A G Perarivalan) की जमानत याचिका को मंजूरी मिल गई है। सर्वोच्च अदालत ने अपने अंतरिम आदेश में कहा कि केंद्र की ओर से पेरारिवलन की जमानत का कड़ा विरोध किया गया था, लेकिन पिछले 30 वर्षों से वे जेल में है। उनके व्यवहार को देखते हुए वह जमानत का हकदार है।
सरकार की ओर से देरी होने के कारण, उसे हमेशा जेल में नहीं रखा जा सकता। इधर पेरारिवलन ने बताया था कि तमिलनाडु सरकार (Government of Tamil Nadu) के आदेश को राज्यपाल और केंद्र (governor and center) की मंजूरी नहीं मिलने से उसकी रिहाई नहीं हो पा रही है। न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव (Justice L. Nageswara Rao) और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई (Justice B. R. gavai) की पीठ ने उन दलीलों का संज्ञान लिया, जिसमें कहा गया है कि दोषी पेरारिवलन 30 साल तक जेल में रहा है और उसका व्यवहार संतोषजनक रहा है, चाहे वह जेल के भीतर हो या पैरोल की अवधि के दौरान। सुप्रीम कोर्ट को पेरारिवलन ने बताया कि तमिलनाडु सरकार रिहाई के आदेश दे चुकी है, जिस पर राज्यपाल और केंद्र सरकार की मंजूरी बाकी है। इधर, सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए एडिशनल सॉलिसीटर जनरल के. एम. नटराज ने पेरारिवलन की रिहाई का कड़ा विरोध किया।
उन्होंने कहा कि इस हत्याकांड के लिए फांसी की सजा 1999 में दी गई थी। 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने इस सजा को उम्र कैद में बदल दिया था। इसके पीछे इस बात को आधार बनाया गया था कि राष्ट्रपति उसकी दया याचिका पर फैसला लेने में लंबा समय लगा रहे हैं। इस बात पर जोर दिया गया था कि उसने काफी समय जेल में बिताया है। एडिशनल सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि हत्याकांड के दोषी को जेल में रहने के आधार पर रियायत मिल चुकी है और उसे दूसरी बार इसी आधार पर लाभ नहीं देना चाहिए। उन्होंने बताया कि कानूनन पेरारिवलन की सजा माफ करने का फैसला केंद्र सरकार का काम है, इसलिए कोर्ट को आदेश नहीं देना चाहिए।
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या 21 मई, 1991 को तमिलनाडु में हुई थी। देश की यह पहली घटना थी जब देश के किसी लोकप्रिय नेता की हत्या आत्मघाती विस्फोट के जरिए की गई थी। तमिलनाडु के श्रीपेरुम्बदुर जब वे एक चुनावी रैली संबोधित कर रहे थे तो आत्मघाती विस्फोट के जरिए उनकी हत्या कर दी गई थी। आत्मघाती महिला की पहचान धनु के रूप में हुई थी। उच्चतम न्यायालय पेरारिवलन की उस याचिका पर सुनाई कर रहा था जिसमें ए जी पेरारिवलन की ओर से एमडीएमए जांच पूरी होने तक उनकी उम्रकैद की सजा निलंबित करने की मांग की गई है।
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