नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश (UP) के बहराइच (Bahraich) में हुई हिंसा के मामले में प्रस्तावित बुलडोजर कार्रवाई (bulldozer action) का मामला अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए इसे रोकने की गुहार लगाई गई है. बहराइच हिंसा (bahraich violence) के बाद वहां प्रस्तावित बुलडोजर से ध्वस्तीकरण की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप याचिका दाखिल की गई है.
23 परिवारों को भेजा गया नोटिस
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से जारी किए गए नोटिस को रद्द करने और बुलडोजर की कार्रवाई पर रोक लगाने की गुहार लगाई गई है. इसके साथ ही याचिका में स्थानीय विधायक द्वारा दिए गए बयान का भी हवाला दिया गया है जिसमें कहा गया है कि बहराइच की घटना के बाद प्रशासन ने मुख्य आरोपी अब्दुल हमीद के अवैध रूप से निर्मित घर पर विध्वंस नोटिस चिपकाया है. अगली कार्रवाई बहुत जल्द होगी.
दरअसल उत्तर प्रदेश सरकार ने 23 परिवारों को नोटिस जारी कर तीन दिन में अपना जवाब दाखिल करने के आदेश के खिलाफ तीन लोगों ने सुप्रीम कोर्ट मे याचिका दाखिल कर बुलडोजर की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की है.
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लगाई रोक
एक दिन पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने बहराइच में बुलडोजर एक्शन पर 15 दिन के लिए रोक लगा दी थी. इस मामले में अब बुधवार को सुनवाई होगी. पीडब्ल्यूडी विभाग की तरफ से जिन 23 लोगों के घरों व दुकानों पर नोटिस चिपकाया गया था. उनको जवाब दाखिल करने के लिए 15 दिनों का वक्त दिया गया है. ऐसे में अब 23 अक्टूबर की सुनवाई के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी.
बहराइच हिंसा मामले में मुख्य आरोपी अब्दुल हमीद के वकील कलीम हाशमी ने बताया कि पीडब्ल्यूडी ने 23 लोगों के मकान तोड़ने का नोटिस दिया था. इस पर एपीसीआर (एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स) की ओर से हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी. जिस पर तत्काल सुनवाई हुई और हाई कोर्ट ने नोटिस पाने वाले सभी 23 लोगों को अपना पक्ष रखने के लिए 15 दिन का समय दिया है. इस दौरान यह साफ कर दिया गया है कि 15 दिन में बुलडोजर की कार्रवाई नहीं होगी और हमें अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाएगा.
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