चंड़ीगढ़ । हरियाणा (Haryana)में अगले पांच सालों तक सत्ता की चाबी (key to power)किसके हाथों में होगी, इसका जवाब आज यानी मंगलवार शाम तक मिल जाएगा। हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों(90 assembly seats of Haryana) के लिए वोटों की गिनती शुरू हो गई है। एक तरफ जहां एग्जिट पोल के नतीजों से उत्साहित कांग्रेस 10 साल बाद सत्ता पर काबिज होने की उम्मीद कर रही है तो वहीं बीजेपी को भी भरोसा है कि वह इस बार जीत की हैट्रिक लगाएगी। बात करें गुरुग्राम जिले के 4 उप विभागों में से एक बादशाहपुर विधानसभा सीट की तो यह हरियाणा की सबसे बड़ी विधानसभा सीट है। सबसे ज्यादा वोटर्स वाली यह सीट मई में निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद के निधन के बाद खाली हो गई थी।
बादशाहपुर में वोटों की गिनती शुरू हो गई है। पहले पोस्टल बैलेट की काउंटिंग हो रही है। कुछ ही देर में शुरुआती रुझान आने भी शुरु हो जाएंगे।
लोकसभा चुनावों के बाद हरियाणा में विधानसभा चुनाव भाजपा और कांग्रेस के बीच पहला बड़ा सीधा मुकाबला है। इस चुनाव के परिणाम का इस्तेमाल विजेता द्वारा अन्य राज्यों में अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए किया जाएगा। बादशाहपुर में भी बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है।
वैसे तो हरियाणा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है लेकिन बादशाहपुर सीट पर राकेश दौलताबाद की पत्नी कुमुदनी के बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ने से मुकाबला और दिलचस्प हो गया है। दरअसल कुमुदनी ने यहां के लिए बीजेपी से टिकट की मांग की थी लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिली जिसके बाद उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया। बीजेपी ने यहां से पूर्व कैबिनेट मंत्री राव नरबीर सिंह को मैदान में उतारा है जबकि कांग्रेस की तरफ से युवा उम्मीदवार वर्धन यादव को मौका दिया गया है। नरबीर सिंह पहले भी इस सीट से विधायक रह चुके हैं। 2019 में उन्हें यहां से टिकट नहीं मिला था। हालांकि अब दोबारा पार्टी ने उनपर भरोसा जताया है।
पिछले चुनावों में कौन किस पर पड़ा भारी
साल 2019 में यहां से निर्दलीय उम्मीदवार राकेश दौलताबाद ने बाजी मारी थी। उन्हें 106,827 वोट मिले थे जबकि बीजेपी के मनीष यादव को 96,641 और कांग्रेस के कमलबीर सिंह को महज 10 हजार वोट ही हासिल हुए थे। वहीं साल 2014 में बीजेपी उम्मीदवार नरबीर सिंह ने निर्दलीय और कांग्रेस उम्मीदवार को पछाड़ते हुए 86,672 वोटों के साथ यहां से जीत हासिल की थी। तब राकैश दोलाताबाद ने आईएनएलडी की तरफ से चुनाव लड़ा था और 68 हजार 540 वोट हासिल किए थे। वहीं निर्दलीय उम्मीदवार मुकेश शर्मा को 35 और कांग्रेस के वीरेंद्र सिंह यादव को लगभग 11 हजार वोट ही मिल पाए थे।
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