नई दिल्ली (New Delhi)। बदरीनाथ धाम (Badrinath Dham) में दर्शन करने को जा रहे तीर्थ यात्रियों (Pilgrims) को जोरदार झटका लग सकता है। उत्तराखंड में मौसम (Uttarakhand weather) के बदलाव का असर अब ऊंचाई वाले क्षेत्रों (High altitude areas) में भी साफतौर से देखने को मिल सकता है। मौसम में आ रहे बदलाव से औषधीय गुणों (Medicinal properties) से भरपूर बदरीनाथ धाम में स्वत: उगने वाली वन तुलसी अब विलुप्ति के कगार पर है।
प्रसाद बेचने वाले अब लामबगड़, हनुमान चट्टी, पांडुकेश्वर, बडागांव और उदगम घाटी से वन तुलसी के पत्ते मंगवाकर माला तैयार कर रहे हैं। 10500 फिट की ऊंचाई पर स्थित बदरीनाथ धाम में पाई जाने वाली वन तुलसी की माला से भगवान बदरी विशाल का श्रृंगार किया जाता है।
इस वर्ष भी बदरीनाथ धाम और आस पास के जंगलों में तुलसी काफी कम मात्रा में उगी है। यहां पर वन तुलसी धीरे-धीरे विलुप्त हो रही है। बदरीनाथ में कई दशकों से तुलसी माला बेच रहे विनोद डिमरी का कहना है कि इस वर्ष धाम में तुलसी काफी कम मात्रा में उगी है।
तुलसी माला बेचने वाले जोशीमठ क्षेत्र से तुलसी मंगवा रहे हैं। बदरीनाथ मंदिर के पूर्व धर्माधिकारी आचार्य भुवन उनियाल का कहना है कि भगवती वृंदा ही बदरीनाथ धाम में तुलसी के रूप में विराजमान हैं। वृंदा ही महालक्ष्मी हैं।
बदरीनाथ उपवन सरक्षक सर्वेश कुमार दुबे कहना है कि जिस समय तुलसी उगनी शुरू होती है उस समय धाम में भारी बर्फबारी हुई थी। जिसके चलते इस वर्ष अभी तक तुलसी काफी कम उगी है। जबकि इससे पूर्व वर्षों में बर्फबारी दिसंबर-जनवरी माह में होती थी तो वन तुलसी के उगने का अवसर मिलता था।
लेकिन इस वर्ष फरवरी-मार्च माह में बर्फबारी हुई है। विदित हो कि 10 मई से शुरू चारधाम यात्रा में भारी संख्या में तीर्थ यात्री दर्शन करने को उत्तराखंड पहुंच रहे हैं। केदारनाथ-गंगोत्री समेत चारों धामों में भक्तों की भारी भीड देखने को मिल रही है।
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