सलीके से हवाओं में जो ख़ुशबू घोल सकते हैं,
अभी कुछ लोग बाक़ी हैं जो उर्दू बोल सकते हैं।
आज की शाम शिमला हिल की वादियों में उस शीरीं ज़बान की मिठास घुलेगी जिसे उर्दू कहा जाता है। यहां स्टेट म्यूजिय़म के ऑडिटोरियम में मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी और मेहकमाये सकाफत की जानिब से बहुत नायाब अवार्ड फंक्शन मुनक्किद हो रहा है। इसमे कुलहिन्द लेवल के 6 और स्टेट लेवल के 11 अवार्ड दिए जाएंगे। मुल्क के जानेमाने शायरों और अदीबों को यहां शॉल, मोमेंटो और सम्मान राशि से नवाजा जाएगा। भोपाल सिर्फ झीलों और पहाड़ों का शहर ही नहीं है। यहां उर्दू शायरी, उर्दू अदब की लंबी रिवायत है। गंगा जमुनी तहजीब के इस शहर में कभी अल्लामा इक़बाल और जिगर मुरादाबादी जैसे मौतबर शायरों ने न सिर्फ कय़ाम किया था बल्कि अपनी कई मशहूर नज़्में भी यहां लिखी थीं। वहीं जदीद शायरी के मशहूर शायर बशीर बदर भी यहीं कय़ाम करते हैं। असद भोपाली, कैफ भोपाली से लेकर जावेद अख़्तर तक यहां उर्दू की बेमिसाल हस्तियां पूरी दुनिया मे जानी जाती हैं। इस परंपरा को आगे बढ़ाने वाले भोपाल के कुछ शायर, मुसन्निफ़ और उर्दू के उस्तादों को भी मुल्क के जानेमाने उर्दू अदीबों के साथ आज अवार्ड दिए जाएंगे। इस कड़ी में जि़कर करूंगा अपनी जदीद तरीन शायरी से लोगों को मुतास्सिर करने वाले मल्टी टेलेंटेड शायर और राईटर बद्र वास्ती साब का। इन्हें आज जिस किताब के लिए शादां इंदौरी ऑल इंडिया अवार्ड दिया जा रहा है उसका उनवान है नाचगान। नाचगान दरअस्ल हिंदी की मशहूर अफसानानिगार उर्मिला की कहानियों का हिंदी से उर्दू तर्जुमा है। बद्र वास्ती की खासियत है कि वो तर्जुमा करते वक्त किसी रचना की मूल भावना को जि़ंदा रखते हैं। गोया के उनका तर्जुमा महज लफ्जों तक महदूद न होकर अहसासों के साथ बहता चलता है। उनके लेखन में जो खूबसूरती और रवानी नुमाया होती है वो इन दिनों कम दिखाई देती है। बद्र वास्ती उर्दू की वो अथॉरिटी हैं जिनका पद्य जितना बेहतरीन है उतना ही नायाब इनका गद्य भी है। ये खासियत कम लोगों में पाई जाती है। वहीं बद्र वास्ती भोत उम्दा स्क्रिप्ट राइटर, थियेटर और फि़ल्म आर्टिस्ट भी कमाल के हैं। इनकी आवाज़ में गज़़ब का ठहराव और मेस्मेरिज़्म है। लिहाज़ा ये गज़़ब के वॉइस ओवर आर्टिस्ट भी हैं।
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