इंदौर। इंदौर को अहमदाबाद से जोडऩे वाला मार्ग डेढ़ दशक से चर्चा में बना हुआ है। लेटलतीफी के साथ बने इस फोरलेन मार्ग के निर्माण में देरी के कारण लागत 500 करोड़ अतिरिक्त हो गई। बावजूद इसके रास्ते के पुल-पुलिया ठीक से नहीं बन पाए, जिसके कारण लोगों को परेशानी झेलना पड़ रही है। अब जाकर 3 बोगदों की आवाजाही सुगम करने लिए 9 करोड़ रुपए की मंजूरी मिली है।
इंदौर से पिटोल तक तकरीबन 160 किलोमीटर के मार्ग में 135 किलोमीटर फोरलेन का निर्माण 2016 तक हो पाया था, तब से ही इस मार्ग पर मेठवाड़ा और दत्तीगांव दो स्थानों पर टोल टैक्स भी शुरू हो गया था। 900 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाला रोड तकरीबन 8 साल में लेटलतीफी के साथ पूरा हुआ। इस दौरान इस मार्ग की लागत 500 करोड रुपए बढ़ गई, जिसके कारण यहां से गुजरने वाले लोगों को भारी-भरकम टोल चुकाना पड़ रहा है। इस मार्ग पर अंडरपास और ओवरब्रिज की एक दर्जन से ज्यादा स्थानों पर आज भी दरकार बनी हुई है। जो अंडरपास पहले बने हैं वह भी ठीक नहीं हैं। अब 9 करोड़ की मंजूरी मिलने के बाद गुनावद, चिखलिया व एक अन्य स्थान पर अब सर्विस लेन बनाई जाएगी।
डेंजर जोन
इस फोरलेन को बनाने के समय कई जगह प्रमुख मार्गों के क्रॉसिंग पर ओवरब्रिज नहीं बनाए जाने कारण बेटमा, मांगोद और राजगढ़ में फोरलेन के ऊपर सीधे वाहनों की क्रॉसिंग होती है जिसके कारण तेज रफ्तार वाहनों को हर पल दुर्घटना का खतरा बना हुआ है और सैकड़ों दुर्घटनाएं हुई भी हैं। इन स्थानों पर ओवरब्रिज की दरकार शुरू से बनी हुई है। फोरलेन निर्माण के 3 साल बाद धार में दुर्घटना पर नियंत्रण के लिए एक ओवरब्रिज का निर्माण किया गया था।
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