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    आरक्षण का लाभ लेकर साहब बनने वाले फिर बनेंगे बाबू

  • January 08, 2021

    • राज्य स्तरीय छानबीन समिति ने जीएडी को भेजीं सिफारिशें, पदावनति की प्रक्रिया शुरू
    • सामान्य प्रशासन विभाग में दबाई फाइलें

    भोपाल। प्रदेश में पदोन्नति में आरक्षण पर रोक की वजह से अभी तक पदोन्नति की प्रक्रिया रुकी हुई है, लेकिन इससे पहले जो अधिकारी एवं कर्मचारी अवैधानिक तरीके से पदोन्नति का लाभ ले चुके थे, उन्हें अब डिमोशन का सामना करना पड़ेगा। क्योंकि जिन कर्मचारियों ने अनुसूचित जाति एवं जनजाति की जाति प्रमाण पत्र के आधार पर आरक्षण कोटे से नौकरी हासिल की थी, बाद में भारत सरकार ने उन जातियों को एससी-एसटी से बाहर कर दिया था। लेकिन इसके बाजवूद भी ऐसे कर्मचारियों ने अवैधानिक तरीके से पदोन्नति में आरक्षण का लाभ लिया। राज्य स्तरीय अजजा छानबीन समिति ने सालों बाद इन प्रकरणों में सामान्य प्रशासन विभाग को सिफारिश की हैं। जिसके तहत कर्मचारियों की नौकरी प्रभावित नहीं होगी, लेकिन उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। सामान्य प्रशासन विभाग ने छानवीन समिति की सिफारिशों के आधार पर अवैधानिक तरीके से पदोन्नति का लाभ लेने वाले कर्मचारियों की छानबीन शुरू कर दी है। जल्द ही उनकी पदनावति (डिमोशन)की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। जीएडी सूत्रों ने बताया कि राज्य स्तरीय छानबीन समिति ने 20 कर्मचारियों को लेकर सिफारिशें की है, जिन्होंने अवैधानिक तरीक से आरक्षण का लाभ लिया है। समिति ने 13 कर्मचारियों के प्रकरणों की सिफारिशें मई 2020 में भेजीं थी, जिन पर जीएडी ने कार्रवाई तो की है, लेकिन अभी उन कर्मचारियों का डिमोशन नहीं हुआ है। जबकि 7 कर्मचारियों के प्रकरणों में सुनवाई पूरी करने के बाद 18 दिसंबर को सिफारिशें पूरी की गई है। इस संबंध में मप्र सचिवालय कर्मचारी संघ ने भी छानबीन समिति को पत्र लिखा था।

    समिति ने ये की सिफारिशें
    मप्र सचिवालयीन कर्मचारी संघ के पत्र क्रमांक 859/2020 का हवाला देते हुए छानबीन समित ने अपर मुख्य सचिव जीएडी को लिखे पत्र में कहा है कि पत्र में 20 कर्मचारियों का उल्लेख था। जिसमें से 13 कर्मचारियों के प्रकरणों का निराकरण 15 मई 2020 को कर दिया गया है। जबकि 7 अन्य कर्मचारियों के प्रकरणों का निराकरण दिसंबर 2020 में किया गया है।

    कर्मचारियों में नाराजगी
    अवैधानिक तरीके से पदोन्नति में आरक्षण का लाभ मिलने से कर्मचारियों में खासी नाराजगी है। क्योंकि जो कर्मचारी वर्ष 2000 से पहले ओबीसी और सामान्य कोटे से भर्ती हुए थे, उन्हें किसी तरह का प्रमोशन मिला है। जबकि उनके साथ एसटी कोटे से भर्ती किए गए कर्मचारी आरक्षण का लाभ लेकर दो से तीन प्रमोशन ले चुके हैं। जिससे उनके वेतन एवं भत्तों में काफी अंतर है। सूत्रों ने बताया कि जिन कर्मचारियों का डिमोशन होना है, उनकी फाइल को जीएडी में दबा दिया गया है।

    इन जातियों की एसटी की पात्रता निरस्त
    छानबीन समिति ने 20 कर्मचारियों के जाति प्रमाण पत्र मामले की जांच की। समिति ने माना कि कीर (बाथम), कोल, कवर, हल्बा (कोष्टा) को अनुसूचित जनजात में नहीं माना है। समिति की अनुशंसा के अनुसार बाथम, कीर जाति के संबंध में निर्णय लिया गया कि भारत सरकार की अधिसूचना 8 जनवरी 2003 के पूर्व जो व्यक्ति आरक्षण का लाभ लेकर नौकरी में आ चुका है, उसकी नौकरी को कोई खतरा नहीं है। लेकिन अधिसूचना के बाद उन्हें अनुसूचित जनजाति का लाभ नहीं मिलेगा। ऐसे में इस जाति के कर्मचारियों ने यदि 2003 के बाद प्रमोशन में आरक्षण का लाभ लिया है तो उन्हें पदावनति का सामना करना पड़ेगा। इसी तरह जीएडी ने 7 मार्च 2011 को पत्र जारी कर स्पष्ट किया है कि हलबा, हल्बी, कोष्टी जाति के व्यक्तियों ने 28 नवंबर 2000 के पहले आरक्षित पद पर नियुक्तियां पाईं है, वे प्रभावित नहीं होंगी। लेकिन 28 नवंबर 2020 के बाद उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा।

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