अयोध्या/ लखनऊ। उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में मुरली मनोहर जोशी की गुरुवार को पेशी हुई। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हो रही सुनवाई में बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जोशी का बयान दर्ज कराया गया। सीबीआई की स्पेशल कोर्ट के जज एसके यादव ने मुरली मनोहर जोशी और लालकृष्ण आडवाणी का बयान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दर्ज कराने का निर्देश दिया था।
यादव ने अलग-अलग दिनों में दोनों नेताओं के बयान दर्ज करने की तारीख तय की थी। इसके तहत 23 जुलाई को मुरली मनोहर जोशी के बयान दर्ज करने की तारीख निश्चित की गई थी। वहीं, 24 जुलाई शुक्रवार को पूर्व गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी का बयान दर्ज कराए जाने की संभावना है। मामले में इससे पहले उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती का बयान दर्ज किया जा चुका है।
बता दें कि सीबीआई कोर्ट इस मामले में 32 अभियुक्तों के बयान सीआरपीसी की धारा 313 के तहत दर्ज कर रही है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर रोजाना इस मामले की सुनवाई की जा रही है। इसी महीने बीजेपी नेता उमा भारती व्यक्तिगत रूप से अदालत में हाजिर हो चुकी हैं। पेशी के दौरान भारती ने आरोप लगाया था कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने राजनीतिक प्रतिशोध के तहत उन्हें इस मामले में फंसाया था।
गौरतलब है कि अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों ने मस्जिद को ढहा दिया था। उनका दावा था कि इस स्थान पर भगवान राम का ऐतिहासिक राम मंदिर था। लंबे समय से चल रहे मामले पर अंतिम फैसला 31 अगस्त को आना है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने खास निर्देश दिए हैं। वहीं इन मामलों की सुनवाई करने वाले जजों का कार्यकाल भी बढ़ा दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इसके मद्देनजर कहा कि मामले की सुनवाई कर रहे जज मुकदमे में फैसला देकर ही रिटायर होंगे। कोर्ट ने फैसले के लिए अंतिम तारीख 31 अगस्त तय किया है। इस बीच, बुधवार को शिवसेना नेता सतीश प्रधान को सीबीआई की अदालत में बयान देने के लिए आना था लेकिन वह कोविड-19 संक्रमित पाए गए थे और क्वारंटीन हैं।
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