अयोध्या। बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले (Ayodhya Babri Masjid Demolition Case) में आरोपियों को बरी किए जाने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में फिर से याचिका दायर की गई है. लगभग 6 महीने पहले दायर याचिका में लोअर कोर्ट से बरी हो गए आडवाणी (Advani), जोशी (Joshi) और उमा भारती (Uma Bharti) समेत 32 लोगों पर मुकदमा चलेगा या नहीं, इस पर 18 जुलाई यानि सोमवार को हाईकोर्ट में सुनवाई होगी, जिसमें हाईकोर्ट ये देखेगा कि दायर की गई याचिका सुनवाई के योग्य है या नहीं. बता दें कि बाबरी मस्जिद विध्वंस के आरोपियों को लोअर कोर्ट से बरी कर दिया गया था. लोअर कोर्ट के आदेश के खिलाफ बाबरी पक्ष के मुद्दई रहे हाजी महबूब ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
बाबरी विध्वंस मामले में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा, महंत नृत्य गोपाल दास, डॉ रामविलास दास वेदांती, चंपत राय, महंत धर्मदास, लल्लू सिंह, प्रकाश शर्मा सहित 32 लोग आरोपी थे. अब इस याचिका पर 18 जुलाई को हाईकोर्ट सुनवाई करेगा. हाजी महबूब ने उम्मीद जताई है कि उनकी याचिका को कोर्ट से मंजूरी मिल जाएगी और मुकदमा दोबारा से शुरू हो सकेगा।
28 साल बाद 2020 में आया था फैसला, जिसमें बरी हो गए थे आरोपी
6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाए जाने के मामले में 28 साल बाद फैसला आया। सीबीआई की विशेष अदालत (CBI Court) ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया और कहा कि मस्जिद विध्वंस (Babri Masjid) सुनियोजित नहीं थी. जज ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि मस्जिद विध्वंस सुनियोजित नहीं थी. उन्होंने कहा कि नेताओं के भाषण का ऑडियो साफ नहीं है. नेताओं ने भीड़ को रोकने की कोशिश भी की. जज ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं है. उन्होंने कहा कि घटना अचानक हुई।
मामले में BJP के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, यूपी के पूर्व सीएम कल्याण सिंह समेत 32 आरोपी थे।
48 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने CBI अदालत को मामले का निपटारा 31 अगस्त 2020 तक करने के निर्देश दिए थे, लेकिन गत 22 अगस्त को यह अवधि एक महीने के लिए और बढ़ा कर 30 सितंबर कर दी गई थी. सीबीआई की विशेष अदालत ने इस मामले की रोजाना सुनवाई की थी. केंद्रीय एजेंसी सीबीआई ने इस मामले में 351 गवाह और करीब 600 दस्तावेजी सुबूत अदालत में पेश किए थे. इस मामले में कुल 48 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था, जिनमें से 17 की मामले की सुनवाई के दौरान मृत्यु हो चुकी है.
इन 32 लोगों को किया गया था बरी
इस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार, साघ्वी ऋतंभरा, महंत नृत्य गोपाल दास, डॉ. राम विलास वेदांती, चंपत राय, महंत धर्मदास, सतीश प्रधान, पवन कुमार पांडेय, लल्लू सिंह, प्रकाश शर्मा, विजय बहादुर सिंह, संतोष दूबे, गांधी यादव, रामजी गुप्ता, ब्रज भूषण शरण सिंह, कमलेश त्रिपाठी, रामचंद्र खत्री, जय भगवान गोयल, ओम प्रकाश पांडेय, अमर नाथ गोयल, जयभान सिंह पवैया, महाराज स्वामी साक्षी, विनय कुमार राय, नवीन भाई शुक्ला, आरएन श्रीवास्तव, आचार्य धमेंद्र देव, सुधीर कुमार कक्कड़ व धर्मेंद्र सिंह गुर्जर आरोप में बरी हो गए थे।
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