भोपाल। प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव के नतीजों से पहले सरकार एक्शन में दिख रही है। पिछले पांच दिनों के भीतर सरकार ने भोपाल और इंदौर जिस तरह से कांगे्रस नेता एवं उनके परिजनों पर कार्रवाई की है। उससे सरकार ने विरोधियों को चेतावनी दे दी है। सरकार ने भोपाल में कांगे्रस विधायक आरिफ मसूद के कॉलेज के अवैध निर्माण वाले हिस्से को गिराया। जबकि पूर्व मंत्री जीतू पटवारी के रिश्तेदारों को अवैध उत्खनन के मामले में पांच करोड़ का नोटिस थमाया है। रविवार को इंदौर जिला प्रशासन ने सरकारी जमीन पर बना कंप्यूटर बाबा का आश्रम ढहा दिया है। इस कार्रवाई को कांग्रेस प्रतिशोध बता रही है, जबकि भाजपा इसे अतिक्रमण विरोधी मुहिम का हिस्सा बता रही है। भोपाल एवं इंदौर प्रशासन ने जिन नेताओं का सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाया है, वे उपचुनाव में खासे सक्रिय रहे थे। पूर्व मंत्री एवं विधायक जीतू पटवारी कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष भी हैं। पूरे उपचुनाव में उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और ज्योतिरादित्य सिंधिया को निशाना बनाया था। दोनों नेताओं पर पटवारी ने तीखे आरोप भी लगाए थे। जब इंदौर के अपर कलेक्टर अभय बेडेकर ने उनके रिश्तेदारों को पांच करोड़ का नोटिस आदेश जारी किया, जब पटवारी के नेतृत्व में कांग्रसी मुरैना में संभागायुक्त कार्यालय का घेराव कर रहे थे। इसी तरह कंप्यूटर बाबा ने उपचुनाव में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ अभियान चला रखा था। बाबा संतों की टोली के साथ चुनाव प्रचार के लिए मैदान में थे। बाबा का फोकस ग्वालियर-चंबल संभाग की सीटों पर ज्यादा था। वहीं इधर विधायक आरिफ मसूद सांप्रदायिक बयानों को लेकर सरकार के निशाने पर थे। प्रशासन की कार्रवाई से पहले भी उन्होंने भोपाल में हजारों लोगों की भीड़ के साथ प्रदर्शन किया था और सांप्रदायिक बयान दिया था। इसके बाद प्रशासन ने उन पर शिकंजा कस दिया है।
कार्रवाई से दहशत में रसूखदार
सरकार ने कार्रवाई ऐसे समय में की है, जब उपचुनाव के नतीजों से पहले दोनों दल एक-दूसरे पर विधायकों की खरीद फरोख्त करने के आरोप लगा रहे हैं। दोनों दलों ने अपने-अपने विधायकों की गिनरानी शुरू कर दी है। ऐसे में विधायक आरिफ मसूद, जीत पटवारी और कंप्यूटर बाबा पर कार्रवाई से सियासत में हड़कंप मच गया है। कई रसूखदार नेताओं में डर पैदा हो गया है। क्योंकि कई विधायकों पर सरकारी जमीन पर अतिक्रमण समेत अन्य गंभीर आरोप हैं। सरकार की इस कार्रवाई को विपक्ष को चेतावनी देने की रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है।
आरिफ मसूद पर चुप्पी बाबा पर उखड़ पड़ी कांग्रेस
सरकार ने सबसे पहले कांग्रेस नेता आरिफ मसूद के अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलाया था। भोपाल जिला प्रशासन ने बड़े तालाब के कैचमेंट एरिया में बने कॉलेज का अवैध निर्माण वाला हिस्सा गिरा दिया था। हालांकि जब प्रशासन ने कार्रवाई की तब मसूद चुनाव प्रचार के लिए बिहार में थे। इससे पहले भोपाल प्रशासन ने अलग-अलग धाराओं के तहत प्रकरण भी दर्ज किया था। मसूद मामले में मप्र कांग्रेस के किसी भी बड़े नेता ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी। कांग्रेस के दिग्गज नेता मौन ही रहे थे। इंदौर के अपर कलेक्टर अभय बेडेकर ने कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी के रिश्तेदारों को अवैध उत्खनन मामले में पांच करोड़ का नोटिस भेजा। इस मामले में भी कांगे्रस चुप रही। रविवार को इंदौर प्रशासन ने कंप्यूटर बाबा का आश्रम ढहा दिया तो कांग्रेस उखड़ पड़ी। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इस कार्रवाई को प्रतिशोध की चरम सीमा करार दिया। वे कंप्यूटर बाबा से मिलने के लिए इंदौर के सेट्रल जेल भी पहुंचे। पूर्व मंत्री कमलनाथ ने भी इस कार्रवाई का विरोध किया है।
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