नई दिल्ली: पतंजलि और अन्य कंपनियों (Patanjali and other companies) से जुड़े भ्रामक विज्ञापनों पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सख्त रुख अख्तियार किया है. कोर्ट ने विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया (Print and electronic media) के लिए शर्तें लागू की हैं. इसके साथ ही पतंजलि के संस्थापक बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को इस मामले में बड़ा झटका भी लगा है. अगली सुनवाई में व्यक्तिगत पेशी से छूट की मांग कोर्ट ने खारिज कर दी है.
अब किसी विज्ञापन को मीडिया में प्रसारित या प्रकाशित करने से पहले विज्ञापनदाता को एक सेल्फ डिक्लेरेशन देना होगा. इसके बिना कोई भी विज्ञापन प्रकाशित और प्रसारित नहीं होगा. चैनलों को प्रसारण सेवा पर सेल्फ डिक्लेरेशन प्रसारित करना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने स्वास्थ्य मंत्रालय से FSSAI की ओर से प्राप्त शिकायतों पर की गई कार्रवाई का डेटा भी मांगा है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा कि पतंजलि के जिन उत्पादों के संबंध में लाइसेंस निलंबित कर दिया गया है, वो बिक्री के लिए उपलब्ध नहीं रहने चाहिए. अगर लाइसेंस निलंबित है तो उत्पाद नहीं बेचा जाना चाहिए. हमें नोटिस देना होगा.
उधर, बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की व्यक्तिगत पेशी से छूट देने की मांग को खारिज करते हुए जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि हमने सिर्फ आज के लिए पेशी से छूट दी थी. कृपया आगे छूट के लिए अनुरोध न करें. कोर्ट ने आईएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) के अध्यक्ष को भी नोटिस दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई में व्यक्तिगत तौर पर पेश होने का निर्देश दिया है. 14 मई तक जवाब दाखिल करने का समय दिया है. ये नोटिस सुप्रीम कोर्ट पर कथित टिप्पणी करने के मामले में भेजा गया है. इसमें अगली सुनवाई में व्यक्तिगत तौर पर पेश होने का निर्देश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 14 मई को होगी.
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