नई दिल्ली (New Delhi) । नीलकंठ कल्याणी (Neelkanth Kalyani) के पोते समीर हीरेमथ और पल्लवी स्वादि (Sameer Hiremath and Pallavi Swadi) ने पारिवारिक संपत्ति (household wealth) के बंटवारे के लिए अपने चाचा और भारत फोर्ज के चेयरमैन बाबा कल्याणी (Baba Kalyani) के खिलाफ पुणे सिविल कोर्ट का रुख किया है। उन्होंने अपने हिस्से के रूप में भारत फोर्ज और कल्याणी स्टील में हिस्सेदारी सहित फैमिली एसेट का नौवां हिस्सा मांगा है। फोर्ब्स के अनुसार देश के सबसे अमीर लोगों में से एक बाबा (75) की कुल संपत्ति 4 अरब डॉलर है।
यह मुकदमा परिवार के पांच अन्य सदस्यों के खिलाफ भी दायर किया गया है, जिनमें उनकी मां सुगंधा हिरेमथ, उनके भाई गौरीशंकर कल्याणी, उनके बच्चे शीतल कल्याणी और विराज कल्याणी और बाबा के बेटे अमित कल्याणी शामिल हैं। जबकि, पुणे, महाबलेश्वर और महाराष्ट्र में अन्य जगहों पर परिवार के पास मौजूद जमीन, बैंकों सहित पैतृक संपत्ति का मूल्य निर्धारित नहीं किया जा सका।
कल्याणी ग्रुप का मार्केट कैप 62,834 करोड़ रुपये
कल्याणी ग्रुप का लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप लगभग 62,834 करोड़ रुपये है। सुगंधा का पहले से ही हिकाल पर बाबा के साथ स्वामित्व विवाद चल रहा है। अपनी याचिका में समीर (50) और पल्लवी (48) ने कहा कि फरवरी 2023 में नीलकंठ की पत्नी की मृत्यु के बाद, बाबा ने समय-समय पर की गई विभिन्न विशेज और लेखों को एक्जीक्यूट करने के बजाय पूरी तरह से पलटवार करते हुए उन्होंने आगे कोई चर्चा करने से इनकार कर दिया। उन्हें आशंका है कि “वह कल्याणी परिवार एचयूएफ की सभी संपत्तियों पर कब्जा कर लेंगे और उन्हें उनके शेयरों से वंचित कर देंगे”।
विरासत की लड़ाई
मुकदमे के मुताबिक उनके परदादा अन्नप्पा कल्याणी एक किसान के साथ-साथ एक व्यापरी भी थे। परिवार की संपत्ति का पता इससे लगाया जा सकता है। अन्नप्पा के पास बड़ी चल और अचल संपत्ति थी, जो बाद में उनके एकमात्र बच्चे नीलकंठ को विरासत में मिली।
फरवरी 1954 में नीलकंठ ने सभी संपत्तियों (अर्जित और निवेश) को हिंदू अविभाजित परिवार इकाई के तहत लाया। 2011 में जब उनका तबियत बिगड़ने लगी तो उनके सबसे बड़े बेटे बाबा ने एचयूएफ के मामलों का प्रबंधन करना शुरू कर दिया।
2013 में नीलकंठ का निधन हो गया। बाबा ने परिवार की संपत्ति को आगे बढ़ाते हुए समूह को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उदाहरण के लिए कल्याणी ग्रुप की प्रमुख कंपनी भारत फोर्ज की स्थापना 1966 में नीलकंठ ने की थी, लेकिन यह बाबा ही हैं, जिन्होंने ऑटो और एयरोस्पेस कंपोनेंट निर्माता को आज 52,636 करोड़ रुपये के बाजार मूल्य वाली कंपनी बनाया।
मुकदमे में कहा गया है कि चूंकि सभी बिजनेस और निवेश परिवार के फंड से शुरू किए गए थे। ये सभी बिजनेस और निवेश संयुक्त परिवार की संपत्ति थे और इसलिए बाबा को अकेले इसका अधिकार नहीं है और न ही हो सकता है।
2014 में शीतल ने पुणे की ही सिविल कोर्ट में बाबा के खिलाफ पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी की मांग करते हुए केस दायर किया था। यह मामला लंबित है।
समीर और पल्लवी ने कहा कि एचयूएफ के पास उनकी जानकारी से कहीं अधिक संपत्ति है, क्योंकि पारिवारिक धन का उपयोग करके लेनदेन किया गया है। इसलिए, सोना और आभूषण सहित वे सभी संपत्तियां पारिवारिक संपत्ति का हिस्सा बनती हैं। वे चाहते हैं कि बाबा को एचयूएफ की सभी संपत्तियों का खुलासा करने और उन्हें डिवीजन में लाने का आदेश दिया जाए।
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