भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आयुष्मान भारत योजना का लाभ लेने के लिए समग्र आइडी की दीवार गरीब और जरूरतमंदो के आड़े है। ग्वालियर में एक ही नियम है अगर परिवार की समग्र आइडी खुलेगी तभी आयुष्मान कार्ड बनेगा, वरना लौटा दिया जा रहा है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के माध्यम से कॉमन सर्विस सेंटरों और निर्धारित अस्पतालों में यही हाल सामने आया है। सेंटरों के अनुसार किनका आयुष्मान बनना है इसका स्थानीय डाटा नहीं है और 2011 की जनगणना के आधार पर आयुष्मान कार्ड बनाने का दावा किया जा रहा है। हकीकत में जिन जरूरतमंदों को आयुष्मान के तहत इलाज की जरूरत है, लेकिन समग्र आइडी में पोर्टल पर नो रिकॉर्ड फाउंड आ रहा, जिससे उनके लिए मुश्किल बढ़ गई है।
क्या है आयुष्मान भारत योजना
यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (यूएचसी) के उदेश्य को प्राप्त करने के लिए, भारत सरकार की एक प्रमुख योजना आयुष्मान भारत का प्रक्षेपण राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 के द्वारा अनुशंसित किया गया। आयुष्मान भारत (पीएम-जय) दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य आश्वासन योजना है, जिसका उद्देश्य प्रति परिवार प्रति वर्ष पांच लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज माध्यमिक और तृतीयक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए 10.74 करोड़ से भी अधिक गरीब और वंचित परिवारों (या लगभग 50 करोड़ लाभार्थियों को) मुहैया कराना जो भारतीय आबादी का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं।
ऐसे आयुष्मान से छूट रहे
आयुष्मान भारत योजना के तहत कॉमन सर्विस सेंटरों पर सबसे ज्यादा कार्ड बन रहे हैं, यहां मौजूदा स्थिति में राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के पोर्टल में आवेदक की समग्र आइडी डाली जाती है। अगर समग्र आइडी से डाटा नहीं खुलता तो आवेदक को लौटा दिया जाता है। शहर के कई कॉमन सर्विस सेंटर पर पड़ताल की गई तो सभी जगह यही स्थिति थी।
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