उज्जैन। केन्द्र सरकार की आयुष्मान योजना का लाभ गरीबों को मिलता है, जिसमें निजी या सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क इलाज की सुविधा मिलती है। 5 लाख रुपए तक का इलाज जिन निजी और सरकारी अस्पतालों द्वारा किया जाता है उन्हें शासन क्षतिपूर्ति राशि देता है। अभी 800 करोड़ रुपए से अधिक की राशि बकाया हो गई है। प्रदेश में 3 हजार करोड़ रुपए से अधिक के क्लेम स्वास्थ्य विभाग को प्राप्त हुए, जिसमें से 2200 करोड़ रुपए की राशि का भुगतान किया जा चुका है। आयुष्मान योजना में कई तरह के घोटाले भी हुए, जिसमें चलते संबंधित अस्पतालों से लेकर दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई। अभी कल एक वीडियो भी वायरल हुआ, जिसमें इंदौर में पदस्थ अधिकारी के कथित लेन-देन की जानकारी ली जा रही थी।
यह मामला भी आयुष्मान योजना से ही जुड़ा है, जिसके चलते स्वास्थ्य विभाग के संचालक अनुराग चौधरी को भी कल हटा दिया गया। शासन को लगातार शिकायत मिल रही है कि आयुष्मान योजना से संबंधित निजी अस्पतालों को अवैध तरीके से फायदा पहुंचाया जा रहा है। इसका आंकड़ा इतना बड़ा है कि करोड़ों की हेराफेरी मामूली बात है। सालभर में ही मध्यप्रदेश में आयुष्मान योजना के तहत निजी अस्पतालों द्वारा 2290 करोड़ रुपए के सरकारी अस्पतालों द्वारा 795 करोड़ रुपए के, इस तरह कुल 3085 करोड़ के क्लेम प्रस्तुत किए गए हैं, जिसमें से 2247 करोड़ का भुगतान शासन ने कर भी दिया। अब 837 करोड़ रुपए से अधिक की राशि बकाया है, जिसमें निजी अस्पतालों के 567, तो सरकारी अस्पतालों के 270 करोड़ बाकी हैं।
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