उज्जैन। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज सुबह आयुर्वेद के 59वें महासम्मेलन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि भारतीय आयुर्वेद विश्व की सबसे प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति है। आपके आगमन के पूर्व मंच पर पुलिस बैंड द्वारा राष्ट्रगान की धुन बजाई गई। इस दौरान मंच पर उपस्थित सभी अतिथियों ने खड़े रहकर अभिवादन किया। पूरे देश के विभिन्न शहरों से आयुर्वेद के महासम्मेलन में भाग लेने के लिए आयुर्वेद चिकित्सक आए थे जिनमें महिलाएँ भी शामिल थीं। राष्ट्रपति ने इन्हें सम्बोधित करते हुए कहा कि आज देश को आवश्यकता है कि नई चिकित्सा पद्धति के बीच आयुर्वेद का महत्व बना रहे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने भी सम्बोधित किया। कालिदास अकादमी परिसर में आयोजित आयुर्वेद महासम्मेलन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के उद्बोधन से पहले मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने अपने उद्बोधन में कहा कि आयुर्वेद का प्रचार-प्रसार अब प्रदेश सरकार करेगी।
मुख्यमंत्री ने मंच से कहा कि प्रदेश में कहीं भी आयुर्वेदाचार्यों और वैद्यों को कोई भी समस्या आती है तो वे सीधे उनसे शिकायत कर सकते हैं। उनकी समस्याओं का प्रदेश सरकार तत्काल निराकरण करेगी। मुख्यमंत्री ने मंच से घोषणा की कि आयुर्वेदाचार्यों को आयुर्वेद क्लिनिक स्थापित करने से पहले अभी तक मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से अनुमति लेनी होती थी लेकिन अब इस व्यवस्था को बदला जाएगा और यह अनुमति अब सीधे आयुष विभाग से जारी की जाएगी। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सरकारी अस्पतालों की तर्ज पर अब आयुर्वेद अस्पतालों के लिए भी रोगी कल्याण समिति का गठन किया जाएगा। इसके माध्यम से आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के विकास में सहयोग मिल सकेगा। मुख्यमंत्री के बाद राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने भी अपना उद्बोधन दिया। उल्लेखनीय है कि आयुर्वेदिक महासम्मेलन में भाग लेने के लिए देश और विदेश के मशहूर 800 आयुर्वेदाचार्य और वैद्य भाग लेने पहुँचे हैं। तीन दिन से इस महासम्मेलन का अधिवेशन चल रहा है। आज के कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होने के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद यहाँ पहुँचे हैं। राष्ट्रपति के आगमन को देखते हुए कालिदास अकादमी परिसर में अंदर से लेकर बाहर तक सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम किए गए हैं।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved