अयोध्या। तिरुपति के लड्डू प्रसाद (Tirupati Laddu Prasad) में गोवंश की चर्बी मिलने के बाद मंदिरों में चढ़ने वाले प्रसाद को लेकर लगातार चर्चाएं हो रही हैं। एक दिन पहले अयोध्या (Ayodhya) के संतों ने बैठक कर अपील की है कि मंदिरों में बाजार से खरीदकर प्रसाद भगवान को अर्पित न किया जाए। इन दिनों देश-दुनिया के भक्ताें के आकर्षण का केंद्र, राममंदिर की बात करें तो यहां के प्रसाद में मिलावट की कोई संभावना ही नहीं। क्योंकि यहां पहले से ही प्रसाद चढ़ाने पर रोक है।
श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कार्यालय प्रभारी प्रकाश गुप्ता बताते हैं कि रामलला को बाहर से कोई प्रसाद अर्पित ही नहीं होता। श्रद्धालु भी मंदिर में खाली हाथ दर्शन करने जाते हैं। श्रद्धालु रामलला को सिर्फ ”भाव” का ही प्रसाद चढ़ा पाते हैं। श्रद्धालुओं को राममंदिर ट्रस्ट की ओर से इलायची दाना प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। छोटी इलायची और चीनी को मिलाकर इस प्रसाद को तैयार किया जाता है। बताया कि इलायची दाने के बहुत से स्वास्थ्य लाभ होते हैं। इसमें पोटेशियम है, मैग्नीशियम और तमाम खनिज मिलते हैं। ये पेट के समस्याओं के लिए रामबाण रामबाण औषधि के रूप में काम करता है।
प्रकाश गुप्ता ने बताया कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद रोजाना एक लाख भक्त रामलला के दरबार में हाजिरी लगाते हैं। इस भीड़ को ध्यान में रखकर सभी भक्तों को प्रसाद बांटने के लिए मशीन का प्रयोग किया जाता है। ये मशीन परिसर में दर्शनार्थियों के वापसी के रास्ते पर निर्माणाधीन पीएफसी के निकट स्थापित की गई। इस मशीन के लगने से दर्शन के लिए आए सभी श्रद्धालुओं को सुविधाजनक ढंग से प्रसाद मिल पाता है। वीआईपी दर्शन मार्ग पर भी श्रद्धालुओं को प्रसाद नि:शुल्क बांटे जाते हैं।
रामलला को चार समय भोग लगता है। पुजारी अशोक उपाध्याय बताते हैं कि रामलला को हर दिन और समय के हिसाब से अलग-अलग व्यंजन परोसे जाते हैं। ये व्यंजन राम मंदिर की रसोई में बनते हैं। सुबह की शुरुआत बाल भोग से होती है। इसमें रबड़ी, पेड़ा या कोई और मिष्ठान चढ़ता है। दोपहर में राजभोग चढ़ता है, जिसमें दाल, चावल, रोटी, सब्जी, सलाद और खीर शामिल है।
संध्या आरती के समय भी अलग-अलग मिष्ठान चढ़ते हैं और रात में भी पूरा भोजन चढ़ाया जाता है। यह प्रसाद भक्तों को कभी-कभार बांटा जाता है। नियमित तौर पर भक्तों को ट्रस्ट की ओर से इलायची दाना दिया जाता है। बाहर से केवल पेड़ा मंगाया जाता है, जो एक निश्चित दुकान से दशकों से आता है। गुणवत्ता व शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है।
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