उज्जैन। शहर में पर्वों के दौरान आवागमन ठहर सा जाता है। दो दिन से शहर में लाखों लोगों की भीड़ उमड़ रही है। इस बात का फायदा ऑटो और ई-रिक्शा चालक जमकर उठा रहे हैं। बाहर के लोगों से मनमाना किराया वसूला जा रहा है। पिछले साल अक्टूबर माह में महाकाल लोक के लोकार्पण के बाद उज्जैन में बाहर से आने वाले दर्शनार्थियों और पर्यटकों की भीड़ लगातार बढ़ रही है। औसतन 50 से 60 हजार बाहर के लोग तब से रोज उज्जैन आ रहे हैं। इनके साथ बाहर के वाहन भी शहर पहुंच रहे हैं। इधर शहर में आ रहे बाहरी लोगों में लगभग 60 फीसदी लोग ट्रेनों से आ रहे हैं। महाशिवरात्रि के अवसर पर भी शहर में तीन दिन में 7 लाख से अधिक बाहर के लोग महाकाल दर्शन करने आ चुके हैं।
इसका सीधा असर उज्जैन के यातायात पर उतना नहीं पड़ा जितना कि यहाँ के ऑटो और ई-रिक्शा चालकों की मनमानी के चलते लोगों को जाम में उलझना पड़ा। आरटीओ से मिली जानकारी के मुताबिक शहर में 7 हजार से अधिक ऑटो और ई-रिक्शा चल रहे हैं। इनमें से 60 फीसदी ऑटो और ई-रिक्शा सुबह से लेकर शाम तक स्टेशन से महाकाल क्षेत्र के बीच करीब 3 किमी के दायरे में यहां से वहां घूमते रहते हैं। महाकाल मंदिर के आसपास तो हर समय करीब 1 हजार ऑटो और ई-रिक्शा गुदरी चौराहे से लेकर महाकाल मंदिर के सामने और रुद्रसागर के आसपास झुंड में खड़े रहते हैं। ऐसे में विशेषकर महाकाल क्षेत्र में तंग गलियों में भी ऑटो और ई-रिक्शा एक-दूसरे के पीछे समूह में घूमते और खड़े हुए देखे जा सकते हैं। यही हाल प्रमुख बाजारों का है। सभी जगह ऑटो और ई-रिक्शा सड़क पर कहीं भी खड़े रहते हैं और सवारी बैठाते हैं। इससे भी दिनभर जाम लगने का कारण बनता है। दूसरी ओर पर्व निपटने के बाद शहर की बिगड़ी यातायात व्यवस्था के पीछे बाहर से आने वाली श्रद्धालुओं की भीड़ को कारण बताया जाता है। इधर भीड़ को देखते हुए दो दिन से ऑटो चालकों ने भी मीटर डाउन कर दिए हैं तथा मनमाना किराया बाहर के लोगों से लिया जा रहा है। ई-रिक्शा चालक भी दो दिन से लगातार बाहर के श्रद्धालुओं से मनमानी वसूली कर रहे हैं। इन्हें रोकने-टोकने वाला कोई नहीं, क्योंकि अधिकारी भीड़ प्रबंधन में लगे हुए हैं।
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