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    850 करोड़ की सम्पत्तियां बेच डालीं प्राधिकरण ने

  • April 04, 2024

    रियल इस्टेट कारोबार में तेजी का लाभ सबसे बड़े कालोनाइजर ने भी उठाया, प्रमुख सचिव ने टीपीएस योजनाओं के साथ लम्बित पड़े प्रोजेक्टों की भी की समीक्षा

    अब तक के सारे रिकॉर्ड टूटे

    इंदौर। कल से अचल सम्पत्तियों की नई गाइडलाइन (Guideline) लागू हो गई। हालांकि एक भी रजिस्ट्री नहीं हो सकी, क्योंकि पोर्टल (Portel) अपडेट नहीं हो सका था। दूसरी तरफ प्राधिकरण की सुपर कॉरिडोर (Super Corridore) सहित अन्य योजनाओं में मौजूद सम्पत्तियों की गाइडलाइन भी बढ़ गई है, क्योंकि अभी समाप्त हुए वित्त वर्ष में प्राधिकरण ने भी रियल इस्टेट कारोबार में चल रही तेजी का जमकर लाभ उठाया और अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए लगभग 850 करोड़ रुपए की सम्पत्तियां बेच डाली। प्राधिकरण की सम्पत्तियां चूंकि शत-प्रतिशत एक नम्बर में ही खरीदी जाती है। लिहाजा पंजीयन विभाग को भी इनकी रजिस्ट्रियों से 100 करोड़ से अधिक का राजस्व हासिल हुआ। सबसे बड़े कालोनाइजर के रूप में मशहूर इंदौर विकास प्राधिकरण की आर्थिक सेहत फिलहाल अच्छी है, क्योंकि नगर निगम का खजाना तो खाली ही है। यही कारण है कि मास्टर प्लान, एमआर के साथ फ्लायओवरों का निर्माण भी प्राधिकरण द्वारा ही कराया जा रहा है। कल इंदौर आए प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई ने पहले नगर निगम और उसके बाद प्राधिकरण के चल रहे प्रोजेक्टों की समीक्षा की और लम्बित प्रोजेक्टों के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिए। वहीं प्राधिकरण अध्यक्ष और संभागायुक्त दीपक सिंह, सीईओ आरपी अहिरवार ने पिछले दिनों निराकृत किए गए प्रकरणों की भी जानकारी दी। 31 हजार से अधिक रजिस्ट्री, एनओसी, ट्रांसफर, 20 गुना लीज रेंट, फ्री होल्ड, लीज नवीनीकरण से लेकर पता परिवर्तन के ये प्रकरण निपटाए गए, तो उसके साथ ही पिछले 5 सालों के आय-व्यय का ब्योरा भी रखा गया, जिससे यह पता चला कि प्राधिकरण ने अभी समाप्त हुए वित्त वर्ष में सम्पत्तियों को बेचने का भी नया रिकॉर्ड कायम कर लिया। लगभग 850 करोड़ की इन सम्पत्तियों में अधिकांश भूखंड शामिल हैं, तो फ्लेट, दुकान और अन्य सम्पत्तियां भी बेची गई। इसकी तुलना में गत वर्ष लगभग 430 करोड़ रुपए का ही व्यय हुआ। यानी 400 करोड़ रुपए से अधिक की आय प्राधिकरण को ज्यादा व्यय की तुलना में हुई। पिछले 5 सालों के रिकॉर्ड देखें तो 2019-20 में 308.64 करोड़ की सम्पत्तियां बेची, तो 2020-21 में घटकर यह 250.67 करोड़ रह गई, क्योंकि कोविड काल शुरू हो गया था। उसके साथ 2021-22 में आंकड़ा बढ़ा और 438.35 करोड़ की सम्पत्तियां बिकीं। वहीं 2022-23 में 499.60 करोड़ की सम्पत्तियां बेची, तो 2023-24 में पूर्व के सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए 850 करोड़ तक ये आंकड़ा पहुंच गया। इसकी तुलना में प्राधिकरण ने चल रही प्रोजेक्टों और अपनी टीपीएस योजनाओं पर लगभग 430 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। वहीं दूसरी तरफ कल दोपहर प्राधिकरण दफ्तर पहुंचे नगरीय विकास और आवास विभाग के प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई ने टीपीएस योजनाओं, फ्लायओवरों के साथ ही मास्टर प्लान, एमआर सड़कों की समीक्षा भी की। श्री मंडलोई ने चल रहे कार्यों की गति बढ़ाने और लम्बित प्रोजेक्टों के संबंध में अभी जानकारी ली। इसके पूर्व श्री मंडलोई ने सिटी बस ऑफिस में मेट्रो, टीडीआर, सोलर प्लांट, कम्पाउंडिंग से लेकर निगम के प्रोजेक्टों की भी विस्तृत समीक्षा की।

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