नई दिल्ली (New Dehli) । किसी भी जातक की कुंडली (Horoscope) में चतुर्थ भाव मकान व जमीन (land) का होता है। यदि चतुर्थ भाव (fourth sense) शुभ राशि में शुभ ग्रह (auspicious planet) से युति बनाएं या दृष्टि संबंध रखे तो जातक (native) को मकान का सुख मिलता है।
किसी भी जातक की कुंडली में चतुर्थ भाव मकान व जमीन का होता है। यदि चतुर्थ भाव शुभ राशि में शुभ ग्रह से युति बनाएं या दृष्टि संबंध रखे तो जातक को मकान का सुख मिलता है।मकान, भूमि, संपत्ति का कारक ग्रह मंगल है। यदि कुंडली में चतुर्थ भाव, चतुर्थेश तथा मंगल की स्थिति अच्छी हो तो मकान की प्राप्ति होती है। कुंडली में चतुर्थेश एवं मंगल उच्च या स्वग्रही हो या मूल त्रिकोण में हो तो उत्तम मकान मिलता है। अगर चतुर्थेश दशम भाव में, दशमेश चतुर्थ भाव में हो और मंगल बलवान हो तो अच्छी भू-संपत्ति का योग बनता है। चतुर्थेश, दशमेश, बली चंद्रमा परस्पर मित्र हों तो बहुत सारे मकानों का योग बनता है।
● चतुर्थ भाव, चतुर्थेश दोनों चर राशि में हों तो जातक के कई स्थानों पर मकान हो सकते हैं।
● चतुर्थेश दशम भाव में, दशमेश चतुर्थ भाव में हो तथा मंगल बलवान हो या मंगल की दृष्टि उन पर हो तो भू-संपत्ति का योग बनता है।
● बलवान सूर्य चतुर्थ भाव में उच्च राशि का होकर बैठा हो तो प्राय 22 वर्ष की आयु में मकान की प्राप्ति होती है। यदि सूर्य मेष राशि में हो तो 40 से 48 वर्ष की आयु में अपना बनाया घर होता है।
● चतुर्थेश सप्तम भाव में हो और शुक्र चौथे भाव में हो तथा इन दोनों में परस्पर मैत्री हो तो स्त्री द्वारा भू-संपत्ति प्राप्त होती है।
● चतुर्थेश एवं नवमेश लाभ भाव में हो और पाप दृष्ट न हो तो मकान आदि का लाभ हो।
● चतुर्थेश किसी केंद्र में गुरु के साथ हो तो जमीन, मकान प्राप्त कराता है।
● चतुर्थेश एकादश भाव में तथा एकादशेश चौथे भाव में हो या चतुर्थेश तथा नवमेश एकादश भाव में हो, द्वितीयेश दशम भाव में हो तो जातक आकस्मिक संपत्ति प्राप्त करता है।
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