इंदौर में ओमिक्रॉन तो नहीं मिला, मगर डेल्टा वैरिएंट में विभिन्नता पाई गई
इंदौर। देश और दुनिया में अभी कोरोना (Corona) के नए ओमिक्रॉन वेरिएंट (omicron variant) का हल्ला मचा है, मगर फिलहाल इंदौर में कोई मरीज नहीं मिला है। स्वास्थ्य विभाग ने जिनोम सीक्वेंसिंग (, genome sequencing) के लिए दिल्ली प्रयोगशाला ( delhi laboratory) में सैंपल भेजे हैं, जिनकी रिपोर्ट अभी नहीं मिली, मगर शहर के निजी बड़े अस्पताल अरबिन्दो ने जिनोम सीक्वेंसिंग टेस्ट के लिए 7 मरीजों की जांच पिछले दिनों की, जिसके परिणाम कल प्राप्त हुए। उसमें ओमिक्रॉन का तो कोई मरीज नहीं मिला, मगर यह चौंकाने वाला तथ्य अवश्य उजागर हुआ कि जिस डेल्टा वेरिएंट ने दूसरी लहर में कहर बरपाया था, उसमें डायवर्सिटी यानी विभिन्नताएं अवश्य मिली हैं और दो मरीज गंभीर लक्षण वाले पाए गए हैं, जिनका इलाज चल रहा है। उल्लेखनीय है कि अरबिन्दो मेडिकल कॉलेज में ही जिनोम सीक्वेंसिंग की अत्याधुनिक मशीन कुछ समय पूर्व ही स्थापित हुई है, जिसके माध्यम से यह जिनोम सीक्वेंसिंग टेस्टिंग की गई।
ओमिक्रॉन वेरिएंट (omicron variant) का पता लगाने के लिए जिनोम सीक्वेंसिंग (genome sequencing) टेस्टिंग करवाई जा रही है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग (Health Department) द्वारा रोजाना जो सैंपल लिए जा रहे हैं और उनमें जो पॉजिटिव मरीज पाए गए उनमें से कुछ के जिनोम सीक्वेंसिंग टेस्ट किए गए और उसके सैंपल दिल्ली भेजे गए हैं, लेकिन इंदौर के अरबिन्दो हॉस्पिटल (aurobindo hospital), जिसके पास यह टेस्टिंग सुविधा है और दुनिया की सबसे आधुनिक मशीन, जीन स्टूडियो एस-5 अमेरिका से बुलवाकर लगाई गई, इसके माध्यम से अभी 7 पॉजिटिव मरीजों की जिनोम सीक्वेंसिंग (genome sequencing)की गई। अरबिन्दो के संचालक डॉ. विनोद भंडारी के मुताबिक ओमिक्रॉन के मद्देनजर उनके अस्पताल में भर्ती कोरोना (Corona) मरीजों की यह जिनोम सीक्वेंसिंग टेस्टिंग की गई, जिसकी रिपोर्ट 75 से 80 घंटे में मिलती है। श्री अरबिन्दो मेडिकल कॉलेज के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. सुष्मित कोष्टा के मुताबिक जिन 7 मरीजों की सैंपलिंग की गई उनमें ओमिक्रॉन वेरिएंट तो नहीं मिला, मगर डेल्टा वेरिएंट ही इस सीक्वेंसिंग में पाया गया। मगर महत्वपूर्ण बात यह है कि सभी सैंपल में डायवर्सिटी यानी विभिन्नताएं पाई गईं। तीन मरीजों में एवाय.120 तो एक मरीज में एवाय.91, वहीं दूसरे मरीज में एवाय.114 और एक मरीज में बी.1617.2 में डायवर्सिटी पाई गई। इनमें एवाय.91 और एवाय.43 के सैंपल के मरीज में गंभीर लक्षण पाए गए हैं, जिसमें चेस्ट में इन्फेक्शन, सांस लेने में परेशानी जैसी शिकायत अधिक है। इन दोनों मरीजों का उपचार चल रहा है।
इंदौर मेडिकल कॉलेज को मिलेगी जिनोम सीक्वेंसिंग जांच मशीन
कोरोना (Corona) के चूंकि नित-नए वेरिएंट भविष्य में भी आएंगे। लिहाजा जिनोम सीक्वेंसिंग (genome sequencing) टेस्ट से ही उसका पता लगाया जा सकता है। अभी ओमिक्रॉन हल्ले के बीच जहां अरबिन्दो हॉस्पिटल ने कोरोना मरीजों की जिनोम सीक्वेंसिंग टेस्टिंग शुरू की, वहीं केंद्र सरकार अब मध्यप्रदेश को 5 जिनोम सीक्वेंसिंग टेस्ट मशीन (genome sequencing test machine ) दे रही है। अभी स्वास्थ्य विभाग (Health Department) को सैंपल दिल्ली भेजना पड़ते हैं, जिसकी रिपोर्ट आने में काफी समय लगता है। प्रदेश के चिकित्सा शिक्षामंत्री विश्वास सारंग के मुताबिक केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया से मुलाकात के दौरान उन्होंने पांच मशीन देने की स्वीकृति दी है। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, रीवा और जबलपुर मेडिकल कॉलेज (medical college) में यह मशीन लगवाई जाएगी। इसके साथ ही इंदौर और जबलपुर की तर्ज पर भोपाल में भी सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल शुरू होने जा रहा है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved