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Binod mill जमीन की नीलामी अटकी फिर से जारी होंगे Tender

June 21, 2021

  • ढाई दशक पहले बंद मिल की 22,245 वर्ग मीटर जमीन नीलाम करने की प्रक्रिया फिर उलझा

उज्जैन। ढाई दशक पहले बंद हुई बिनोद मिल की 22 हजार 245 वर्ग मीटर जमीन नीलाम करने की प्रक्रिया फिर उलझ गई है। लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग के प्रदीप जैन ने कहा कि नीलामी के लिए दोबारा अधिसूचना निकाली जाएगी। करीब 4 हजार मजदूरों का 75 करोड़ रुपया रुका हुआ है।
मिल मजदूर संघ ने कहा है कि जमीन नीलाम हो या न हो, उन्हें इससे कोई मतबल नहीं। हमें, हमारी बकाया मजदूरी से मतलब है, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार 27 फरवरी 2021 से पहले मिल जाना थी, पर अब तक नहीं मिली। मप्र की सरकार कह रही है कि जमीन बेचकर मजदूरों को उनकी बकाया मजदूरी का भुगतान करेंगे। जबकि कोर्ट के फैसले में भुगतान का जिक्र है, कैसे करेंगे इसका नहीं। इसलिए कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की है। मालूम हो कि मध्यप्रदेश की सरकार जमीन बेचकर बिनोद मिल के 4353 मजदूरों या उनके वारिसों को उनका बकाया पैसा देना चाहती है। इसके लिए वह दो बार जमीन नीलाम करने को अधिसूचना जारी कर चुकी है। पहली अधिसूचना जनवरी-2021 में और दूसरी अधिसूचना मई-2021 में निकाली थी। जमीन नीलाम करने को पहले अपनाई प्रक्रिया में शासन ने गुजरात के पीयूष सेठ द्वारा 75 करोड़ रुपये में जमीन खरीदने के टेंडर प्रस्ताव को निरस्त कर दिया था। दूसरी बार की प्रक्रिया नीलामी की तारीख 18 जून से पहले निरस्त कर दी गई। सूत्रों के अनुसार अचल संपत्ति का नए सिरे से वेल्यूशन कराने के बाद ही अब अधिसूचना जारी की जाएगी। मिल मजदूर संघ के अध्यक्ष ओम भदौरिया ने बताया कि वर्ष- 1996 में कपड़ा बनाने वाली बिनोद मिल बंद हो गई थी। इसके अगले ही साल मजदूर अपना बकाया भुगतान पाने को कोर्ट में चले गए थे। साल-2017 में हाईकोर्ट ने और फिर फरवरी- 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने मजदूरों के हक में फैसला सुनाया था।

ये था कोर्ट का फैसला
कोर्ट का फैसला था कि राज्य सरकार दो साल के भीतर बिनोद मिल की जमीन बेचकर मजदूरों को उनकी बकाया राशि का भुगतान 4 फीसद ब्याज के साथ करें। तब जमीन की कीमत 9 अरब रुपये आंकी गई थी। जोड़-घटाव के बाद श्रमिकों का हिसाब 97 करोड़ रुपये का बना था, जो 4 हजार से अधिक श्रमिकों एवं उनके आश्रितों को मिलना है। क्योंकि करीब आधे श्रमिकों की इस 25 साल में मृत्यु हो चुकी है। श्रमिकों के स्वत्वों के भुगतान के संबंध में उच्च न्यायालय के निर्णय अनुसार मिल की 18.018 हेक्टेयर जमीन का आधिपत्य राज्य शासन को सौंपा गया है। कायदे से राशि श्रमिकों को 27 फरवरी 2021 से पहले मिल जाना थी, पर आज तक नहीं मिली। शासन जमीन का कुछ हिस्सा नीलम कर श्रमिकों को पैसा देना चाहता है, पर इसके लिए अब तक नीलामी नहीं हो पाई है।

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