नई दिल्ली: रमजान के महीने में चीन में उइगर मुसलमानों पर जुल्म किया जा रहा है. उनके रोजे पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है. रमजान के इस पवित्र महीने में उन्हें रोजा रखने से मना किया जा रहा है. उइगर मुसलमान रोजा नहीं रखे, इसलिए चीनी पुलिस अपने जासूसों का इस्तेमाल कर रही है. रेडियो फ्री एशिया की रिपोर्ट में इसका खुलासा किया गया है.
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन ने उस जासूस का नाम ‘कान’ रखा है. जासूसों में आम इंसान, पुलिस अधिकारी और उस इलाके के समिति के सदस्य शामिल हैं. रेडियो फ्री एशिया से बातचीत में एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि हमारे पास कई सीक्रेट एजेंट्स हैं. उन्होंने बताया कि उइगर संस्कृति, भाषा और धर्म को कम करने के प्रयास के तहत ऐसा किया गया है.
उइगर मुसलमानों के निवाले पर जासूसी नजर
बता दें कि चीन पूर्वी शिनजियांग में तुरपन में उइगर मुसलमानों के खिलाफ ये जुल्म ढा रहा है. रमजान के मौके पर चीन में उइगर मुसलमान कोई आज निशाने पर नहीं आए हैं. यह सिलसिला 2017 से चालू है. चीन ने शिनजियांग में 2017 से रोजे पर बैन करना शुरू कर दिया था. रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल चीनी अधिकारियों ने उइगर मुलमानों को ‘री-एजुकेशन’ कैंपों में बंद कर दिया था.
2021-22 में दी गई थी थोड़ी ढील
हालांकि, चार-पांच साल बाद 2021-22 इसमें थोड़ी ढिलाई दी गई. इस साल 65 साल की उम्र वाले लोगों को रोजा रखने दिया गया था. रेडियो फ्री एशिया की रिपोर्ट के मुताबिक, तुरपन सिटी पुलिस स्टेशन के एक पुलिस ऑफिसर ने बताया कि सरकार ने इस साल उम्र, लिंग या पेशे की परवाह किए बगैर सभी को रोजा रखने से मना कर दिया है.
56 में 54 परिवारों ने किया था कानून का उल्लंघन
रिपोर्ट के मुताबिक, रमजान के पहले हफ्ते में चाइनिज ऑथरिटीज ने 56 उइगर परिवारों और पूर्व बंदियों को उनकी गतिविधियों के बारे में पूछताछ करने के लिए तलब किया था. इनमें से 54 ने कानून का उल्लंघन किया था. रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों ने बताया कि तुरपन में प्रत्येक गांव से दो या तीन जासूसों को जासूसी करने के लिए चुना है.
ये जासूस वहां रोजा रखने वाले लोगों पर नजर रखेंगे. पुलिस अधिकारी ने बताया कि ये ‘कान’ जासूस तीन इलाकों से हैं. उन्होंने कहा कि मैं जहां काम करता हूं, वहां 70 से 80 उइगर पुलिसकर्मी हैं, जो या तो सीधे ‘कान’ के रूप में काम करते हैं या अन्य जासूसों का नेतृत्व करते हैं.
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