भोपाल। डिजिटल भुगतान का क्रेज तेजी से बढ़ रहा है। शहरवासी खरीदारी करने के बाद विक्रेता को नकद नहीं, बल्कि अलग-अलग प्लेटफार्म से भुगतान कर रहे हैं। इसे वे खुद के लिए सहूलियत मानते हैं। यही वजह है एटीएम व बैंक से नगद निकासी करने वालों की संख्या कम हुई है। जिन एटीएम पर निकासी अधिक घटी है उन्हें बैंक बंद कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार गत एक साल में प्रदेश में 253 एटीएम बूथ बंद हुए हैं। यह बात हाल ही में एसएलबीसी की बैठक में सामने आई है। बैठक में यह भी कहा गया कि अब लोग तेजी से विकसित होने वाली तकनीक के साथ आगे बढ़ रहे हैं। वे एटीएम या बैंक में जाकर क्यू में नहीं लगना चाहते हैं। बैंक की दृष्टि से भी एटीएम की संख्या घटा रही है।
मोबाइल से भुगतान के प्लेटफार्म
मोबाइल से डिजिटल भुगतान करने के लिए लोगों ने अलग अलग प्लेटफार्म डाउनलोड कर रखे हैं। किसी ने भीम एप तो किसी ने गूगल पे,पेटीएम और फोन पे आदि डाउनलोड कर रखा है। यूपीआइ के अंतर्गत यह प्लेटफार्म आते हैं। इससे न तो पैसे खोने का डर रहता और न ही जेब कटने का।
प्रदेश में किस वर्ष कितने एटीएम संख्या रही-
वर्ष संख्या
2019 9316
2020 9320
2021 9453
2022 9200
253 एटीएम हुए बंद
ग्रामीण क्षेत्र में एटीएम की संख्या घट चुकी है। ग्रामीण क्षेत्र में सुनसान क्षेत्रों लगे एटीएम को चोरों ने तोडऩे का प्रयास भी किया। असुरक्षा के चलते ऐसे एटीएम को बैंकों ने बंद कर दिया। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में अब तक 253 एटीएम बूथ बंद किए जा चुके हैं।
बूथ बंद होने से बैंक की आर्थिक बचत
नाम न छापने की शर्त पर एक बैंक अधिकारियों ने बताया कि डिजिटल भुगतान से बैंक के लिए सुविधा बढ़ी है। क्योंकि इससे बैंक में आने वालों की भीड़ घटी तो एटीएम की संख्या भी कम हुई है। एक एटीएम पर हर माह बैंक को 50 से 60 हजार रुपए खर्च करना पड़ता है। बैंक जब एटीएम बूथ किसी स्थान पर खोलता है तो उसे 10 हजार रुपये कीमत की एक दुकान किराए पर लेना होती है। एटीएम मशीन की सुरक्षा में 12-12 हजार रुपए के गार्ड तैनात करने होते हैं। मशीन में पैसा भरने से लेकर बिजली बिल के भुगतान पर हर माह 10 हजार रुपए खर्च होते हैं।
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