नई दिल्ली (New Delhi) । इसी साल 24 फरवरी के दिन अतीक अहमक (Atiq Ahmed ) का तीसरे नंबर का बेटा असद अपने शूटर साथियों के साथ उमेश पाल (Umesh Pal) और दो सरकारी गनरों की हत्या करते दिखा था। उसके ठीक 50वें दिन यानी 15 अप्रैल को असद के माफिया पिता अतीक अहमद (mafia father atiq ahmed) और चाचा खालिद अजीम उर्फ अशरफ की में कॉल्विन अस्पताल में तीन शूटरों ने हत्या कर दी। उमेश पाल की हत्या के बाद सीसीटीवी का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। उसके बाद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 25 फरवरी को सदन में खम ठोककर कहा था कि उमेश पाल के हत्यारों को बख्शेंगे नहीं और उन्हें मिट्टी में मिला दिया जाएगा। उसके बाद से अतीक, अशरफ और असद के एनकाउंटर के कयास लगाए जा रहे थे। अतीक और अशरफ पुलिसी की सुरक्षा में जेल में थे, इसलिए उनके एनकाउंटर (encounter) से यूपी पुलिस भी सवालों के घेरे में आती, लेकिन गुरुवार को यूपी एसटीएफ ने झांसी के पारीछा डैम पास असद का एनकाउंटर कर दिया। शनिवार सुबह असद के जनाजे पर पड़ी मिट्टी अभी बैठी भी नहीं थी कि उसके पिता और चाचा को तीन अपराधियों ने मौत के घाट उतार दिया। एक बार फिर उमेश पाल की हत्या की तरह ही अतीक और अशरफ की हत्या के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। यह भी कहा जा रहा है कि पूर्व विधायक राजू पाल की हत्या से शुरू हुए माफिया के अवसान का क्रम उमेश पाल की हत्या के साथ पूरा हुआ।
क्या हुआ था 24 फरवरी को?
उमेश पाल की सुरक्षा में दो पुलिसकर्मी लगे थे। अतीक के बेटे ने अपने साथ छह अन्य शूटर और बमबाज को लेकर मजह 44 सेकेंड में तीनों की हत्या कर दी थी। 24 फरवरी की शाम को उमेश पाल अपने दोनों सुरक्षाकर्मी के साथ कार से घर पहुंचा। सड़क पर कार रुकी। सिपाही राघवेंद्र बाहर निकला। पीछे से उमेश कार से निकला। तभी शूटरों ने उमेश पाल और सिपाहियों पर हमला कर दिया। उमेश के भागते ही अतीक का बेटा पहुंचा और उसने गोलियों से उमेश को छलनी कर दिया। तीनों को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उमेश पाल और उनके गनर संदीप मिश्रा की मौत हो गई। बाद में दूसरे गनर राघवेंद्र सिंह की लखनऊ में इलाज के दौरान मौत हो गई। एफआईआर में अतीक अहमद, उसकी पत्नी शाइस्ता परवीन, उसके भाई और पूर्व विधायक अशरफ, बेटे असद समेत 18 लोगों के नाम आए। इनमें असद, सदाकत, अरमान, विजय चौधरी उर्फ उस्मान और अरबाज एनकाउंटर में मारे जा चुके हैं।
50वें दिन अतीक का अंत
अब बात करते हैं 15 अप्रैल की रात की। प्रयागराज के धूमनगंज थाने से करीब डेढ़ दर्जन पुलिसकर्मी रूटीन मेडिकल चेकअप के लिए अपनी सुरक्षा में अतीक और अशरफ को लेकर 10 बजकर 35 मिनट कॉल्विन अस्पताल पहुंचते हैं। 10 बजकर 35 मिनट 20 सेकेंड पर तीनों हमलावरों ने अतीक और अशरफ पर हमला किया। तीनों युवकों ने अतीक और अशरफ ने डेढ़ दर्जन गोलियां चलाई। 10 बजकर 36 मिनट पर अतीक और अशरफ की लाश खून से लथपड़ थी। 40 सेकेंड में काम खत्म हो चुका था। पुलिस ने हमलावरों के सरेंडर करते ही दबोच लिया। कुछ इसी तरह 24 फरवरी को हुआ था।
राजू पाल की हत्या अतीक को ले डूबा
25 जनवरी 2005 को इलाहाबाद पश्चिमी के तत्कालीन विधायक राजू पाल की सरेआम हत्या कर दी गई थी। राजू पाल की हत्या में अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ पर आरोप लगे। दोनों ही इस प्रकरण में नामजद रहे। इस घटनाक्रम के बाद अतीक और अशरफ की मुसीबतें लगतार बढ़ती रही। माफिया का इलाहाबाद पश्चिमी में वो रसूख नहीं रह गया, जो कभी पहले था। 2005 में हुए उप चुनाव में माफिया के भाई अशरफ की जीत जरूर हुई, लेकिन परिवार की साख लगातार घटती रही। यही कारण रहा कि वर्ष 2007 के आम चुनाव में बसपा प्रत्याशी और राजू पाल की बीवी पूजा पाल की जीत हुई। 2006 में माफिया अतीक अहमद ने राजू पाल हत्याकांड के गवाह रहे उमेश पाल का अपरहण किया। वर्ष 2007 में अतीक के खिलाफ मुकदमा लिखा गया। वर्ष 2008 में अतीक को मामले में गिरफ्तार किया गया। बाद में माफिया जमानत पर रिहा जरूर हुआ, लेकिन इसके बाद मुसीबत कम होने के बजाए बढ़ती रही। 24 फरवरी को उमेश पाल की हत्या के बाद, इस पूरे प्रकरण में अतीक अहमद के पूरे परिवार का नाम सामने आया। 28 मार्च को अदालत ने अतीक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इस प्रकरण में आगे की पूछताछ के लिए पुलिस माफिया अतीक और उसके भाई को प्रयागराज लाया गया। जहां 15 अप्रैल की रात दोनों भाइयों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
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