प्रयागराज: माफिया अतीक अहमद और उसके भाई असरफ की हत्या के मामले में एसआईटी ने अपनी जांच शुरू की है. एसआईटी की टीम जल्द ही प्रतापगढ़ जेल में बंद इस हत्याकांड के आरोपियों से पूछताछ करेगी. इस बीच अतीक अहमद को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है. पता चला है कि कि माफिया अतीक चुनाव लड़ने के लिए बड़े बिल्डरों और कारोबारियों से इलेक्शन टैक्स लेता था.
सूत्रों के मुताबिक, अतीक अहमद के चुनाव लड़ने पर गुंडा टैक्स वसूली पर्ची जारी होती थी. इसे बड़े कारोबारियों और बिल्डरों को दो तरह की पर्ची दी जाती थी, जिसमें एक का रंग गुलाबी और दूसरे का रंग सफेद होता था. इसमें गुलाबी पर्ची का रेट 3 लाख से लेकर 5 लाख रुपये तक था, जबकि सफेद पर्ची थमाने का मतलब था कि उस कारोबारी को 5 लाख से ऊपर का चंदा देना है.
कारोबारियों से वसूली के ये पैसे कैश न लेकर बैंक खाते में जमा कराए जाते थे. बैंक ऑफ महाराष्ट्र में माफिया अतीक अहमद के नाम पर एक बैंक खाता था और चुनावी टैक्स का सारा पैसा इसी खाते में जमा होता था.
अतीक ने बना रखी थी 16 कंपनियां
यूपी सरकार और केंद्रीय एजेंसियां अब अतीक गैंग के बाकी बचे सदस्यों और उनके धंधे पर नकेल कसने की तैयारी में हैं. अतीक ने 16 कंपनियां अपने गैंग मेंबर्स के नाम पर रजिस्टर्ड करवा रखी थी. सूत्रों के मुताबिक, अतीक ने खौफ के दम पर अपने जिस काले कारोबार को खड़ा किया था, उसे हड़पने और उसपर कब्ज़े को लेकर अतीक कुनबे के अंदर खींचतान शुरू हो गई है.
अतीक ने बीते तीन दशक के दौरान प्रयागराज और लखनऊ सहित कई दूसरी जगहों पर सैंकड़ों करोड़ की बेनामी संपत्ति खड़ा कर ली थी. अतीक के जेल जाने के बाद अतीक की पत्नी शाइस्ता ही उसके धंधों का हिसाब-किताब रखती थी.
सूत्रों के मुताबिक शाइस्ता अतीक के धंधों को समेटने और उसकी काली कमाई को बचाने में जुटी है, ताकि कोई दूसरा गैंग मेंबर उस पर कब्जा न कर लें. पुलिस फिलहाल शाइस्ता को तलाश रही है और उसे पकड़ने के लिए प्रयागराज सहित कई जगहों पर छापेमारी भी की है.
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