यूं तो 13 नंबर को अक्सर लोग अच्छा नहीं मानते है लेकिन देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जिंदगी और मौत तक यह 13 नंबर उनसे जुड़ा रहा। कुछ में स्वयं उन्होंने इस नंबर को चुना तो कुछ कुदरत की तरफ से इस नंबर का उनकी जिंदगी में खास महत्व का था। अटल जी के लिए 13 नंबर लकी था या अनलकी यह एक ‘अटल रहस्य’ है। अटल जी के जन्मदिन पर जानिए 13 नंबर के रहस्य के बारे में।
अटल बिहारी वाजपेयी की जन्मतिथि और निधन की तिथि से 13 नंबर अलग न हो सका। वह 25 दिसंबर 1924 को पैदा हुए। दिन और महीने का अंतर भी (25-12=13) 13 रहा। उनकी मृत्यु 16 अगस्त को हुई। जन्मतिथि और मृत्यु की तारीख और महीने और साल का अंतर भी 13 रहा। दिन का अंतर नौ (25-16=9) और महीने का अंतर चार (12-8=4) रहा। दोनों को जोड़ने पर (9+4=13) नंबर 13 पर ही आ टिका। इसी तरह उनके जन्म का साल 1924 और मृत्यु का वर्ष 2018 का अंतर 94 रहा। इसका मूलांक भी 13 है।
सियासी सफर में भी 13 नंबर का रहा खास महत्व
अटल बिहारी वाजपेयी ने 13 मई 1996 को पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन बहुमत साबित न होने पर 13 दिन बार सरकार गिर गई।
दूसरी बार भी अटल बिहारी वाजपेयी 13 महीने के लिए प्रधानमंत्री बने और इसके बार सरकार गिर गई।
तीसरी बार सरकार बनाने पर अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार में 13 दलों का गठबंधन रहा और 13 अक्तूबर 1999 को ही उन्होंने शपथ भी ली।
तीसरी बार 13 अक्तूबर को शपथ न लेने के लिए लोगों ने मना किया, लेकिन अटल जी नहीं माने और यह सरकार पूरे पांच साल चली।
2004 के चुनाव में 13 मई को हुई मतगणना में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। इस चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी ने 13 अप्रैल को ही नामांकन पत्र दाखिल किया था।
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