नेताओं ने भी घुटने टेके… दिन में बैठक… रात को लॉकडाउन को ही विकल्प बताया
इंदौर। मुंबई (Mumbai) की तर्ज पर इंदौर (Indore) में भी 7 से 10 दिनों के लिए लॉकडाउन (lockdown) लगाया जा सकता है… लॉकडाउन (lockdown) के दौरान जहां इंडस्ट्रियों (Industries) में उत्पादन चालू रहेगा, वहीं दुकान और कार्यालय बंद कर दिए जाएंगे… सरकार-प्रशासन की मंशा है कि श्रमिक और मजदूरों को बेरोजगारी का सामना न करना पड़े और न ही उत्पादन प्रभावित हो। इस दौरान दूध, दवा और किराना सामान की आपूर्ति जारी रहेगी…
जरूरी सामान खरीद लें लोग
वैसे तो प्रशासन द्वारा लगाए जा रहे लॉकडाउन (lockdown) में आवश्यक वस्तुओं को मुक्त रखा गया है… लेकिन इसके बावजूद 7 दिनों के लिए जरूरी वस्तुओं की खरीदी लोगों को कर लेना चाहिए…
मंडिया बंद… ठेले पर मिलेंगी सब्जियां
लॉकडाउन (lockdown) के दौरान सबसे बड़ी समस्या लोगों को सब्जियों को लेकर आती है। सब्जियों का भंडारण नहीं किया जा सकता है… इसलिए प्रशासन द्वारा ठेले वालों को घर-घर जाकर सब्जियों की आपूर्ति करने की छूट दी जा रही है… हालांकि इस दौरान मंडियां बंद होने से ठेले वालों को भी सब्जियां खरीदने में मुश्किल हो सकती है।
दोपहर में बंद कमरे में हुई प्रशासन के साथ बैठक, शाम को खुलेआम कहा-अब तो लॉकडाउन ही शहर को बचाने का उपाय
शहर के हालात दिन-ब- दिन बिगड़ते जा रहे हैं… अस्पतालों में ऑक्सीजन (Oxygen) का टोटा पडऩे लगा है… और उधर जान बचाने वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन (remadecivir injection) के लिए हाहाकार मचा हुआ है… ऐसे में बढ़ते मरीज और बढ़ती मौतों से शहर को बचाने का एकमात्र विकल्प शासन-प्रशासन को यही नजर आ रहा है कि संक्रमण की चेन को तोड़ा जाए और उसके लिए कम से कम सात दिन का लॉकडाउन एक बार फिर शहर में लगाया जाए।
कल दिन में जनप्रतिनिधियों और नेताओं की एक बैठक के बाद नेताओं ने भी घुटने टेकते हुए लॉकडाउन (Lockdown) की पैरवी की। यह स्थिति तब बनी जब प्रशासन ने बताया कि अस्पतालों में ऑक्सीजन का टोटा पडऩे लगा है… उधर कोरोना से बचाव के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन की भी भारी कमी होने के चलते मरीजों के परिजन दुकानों पर कतार लगाए बैठे हैं… दरअसल महाराष्ट्र में बिगड़ते हालात और मुंबई से इंजेक्शन और ऑक्सीजन तक की कमी के चलते दोनों ही चीजों की आपूर्ति नहीं हो पा रही है… इस कारण मरीजों की जान जहां संकट में है, वहीं मरीजों की तादाद भी बढ़ती जा रही है… शहर के सारे अस्पताल लबालब भरे पड़े हैं… ऐसे में प्रशासन ने बढ़ते संक्रमण की चेन को तोडऩे के लिए शहर में हफ्तेभर से दस दिन तक के लिए लॉकडाउन लगाने का प्रस्ताव दिया, जिस पर सभी जनप्रतिनिधि लगभग सहमत हुए, लेकिन मंशा यह है कि आम लोगों की परेशानी का भी ध्यान रखा जाए। इस संदर्भ में प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया है, जिस पर आज या कल में फैसला ले लिया जाएगा…
शहर में कोरोना के बढ़ते हालातों को काबू में रखने के लिए दोपहर में प्रशासन के साथ जनप्रतिनिधि, जिसमें क्राइसिस मैनेजमेंट समिति के सदस्य भी शामिल थे उनकी बंद कमरे में बैठक हुई और फिर शाम को हुई बैठक में सभी ने खुलेआम कह दिया कि शहर में लाकडाउन (Lockdown) ही एकमात्र विकल्प बचा है और उसके लिए बैठक में शामिल तमाम जन प्रतिनिधि तैयार है और बैठक की जानकारी से प्रशासन तथा सरकार को अवगत कराया जाएगा। कुछ जनप्रतिनिधियों ने कहा कि पहले लोगों को विश्वास में लेना होगा और उसके साथ ही उन्हें मौका देना होगा कि वे जरूरत की चीजों को खरीद सके और एकदम से हालात न बिगड़े।
सुबह शिक्षाविदों की बैठक के बाद बंद कमरे में भाजपा के जनप्रतिनिधि और कलेक्टर (Collector) की बैठक हुई। हालांकि इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई, लेकिन शाम को ही लाकेसभा की पूर्व स्पीकर सुमित्रा महाजन ने दोनों दलों के जनप्रतिनिधियों और नेताओं की बैठक बुलाई और कहा कि शहर के हित के लिए क्या किया जा सकता है। ताई ने सबसे पहले इंजेक्शन और ऑक्सीजन को लेकर बात की तो कांग्रेस के अध्यक्ष विनय बाकलीवाल ने कहा कि वास्तव में हालत खराब है और अगर सरकार अपने स्तर पर महाराष्ट्र तथा हिमाचल प्रदेश की सरकार से बात हो तो हालात सुधर सकते हैं, क्योंकि हिमाचल प्रदेश में सिप्ला कंपनी के पास इसका स्टॉक है। बैठक में सांसद शंकर लालवानी भी मौजूद थे। उन्होंने इंजेक्शन और ऑक्सीजन के लिए केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धनसिंह से बात करने की जानकारी दी और कहा कि ऑक्सीजन (Oxygen) की उपलब्धता तो हो जाएगी। उन्होंने भिलाई से टैंकर आने की बात कही। इसके बाद शहर के हालात को काबू करने पर चर्चा हुई, जिसमें ताई ने पूछा कि अब क्या किया जा सकता है। इस पर सभी ने कहा कि लॉकडाउन ही अब अंतिम विकल्प के रूप में सामने आ रहा है, ताकि कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ी जा सके और अस्पतालों में बढ़ती मरीजों की संख्या को नियंत्रित किया जाए। नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे ने कहा कि ताई लॉकडाउन लगवा देना चाहिए, क्योंकि इसके अलावा अब कोईचारा नजर नहीं आ रहा है। इस पर पूर्व विधायक गुप्ता ने भी समर्थन किया और कहा कि आज नहीं तो चार दिन बाद लगाना पड़ेगा, लेकिन जब तक शहर के हालात और खराब हो जाएंगे। बाकलीवाल से भी पूछा गया तो उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत तौर पर सहमत हूं, लेकिन संगठन में बात करके ही आपको बता पाऊंगा। उमेश शर्मा ने भी कहा कि शनिवार और रविवार को लॉकडाउन (Lockdown) के मैसेज चल रहे हैं, तब से ही इसे शुरू करवा दो तो लोगों को दो दिन का समय सामान खरीदने क ेलिए मिल जाएगा। आईडीए के पूर्व अध्यक्ष मधु वर्मा ने भी कहा कि ऐसा समय तय करें कि लोग अपने घरों में राशन की व्यवस्था कर लें और बाजारों में भीड़ भी न हो। इस दौरान फैक््ट्री, कारखाने और बड़े प्रोजेक्ट चालू रखने का सुझाव लालवानी ने दिया, ताकि मजदूरों का पलायन न हो और उन्हें यहीं पर काम मिल सके। इस बीच मंत्री सिलावट भी आ गए और उन्होंने भी लॉकडाउन की वकालात की। बैठक में 7 दिन के लॉकडाउन को लेकर सुझाव दिया गया, लेकिन मरीजों की संख्या बढऩे पर इसको आगे बढ़ाने पर भी सहमति बनी। अंत में ंमंत्री उषा ठाकुर भी पहुंच गई और लॉकडाउन के लिए अपनी हामी भरी। बैठक में जिलाध्यक्ष राजेश सोनकर, विधायक विशाल पटेल, महेन्द्र हार्डिया, राजेश अग्रवाल आदि मौजूद थे। सभी ने अपने-अपने विचार रखे। अंत में तय हुआ कि जनप्रतनिधियों के सुझावों से सरकार और प्रशासन को अवगत कराया जाएगा, ताकि लॉकडाउन को लेकर आम लोगों को समय दिया जाए और शहर में हालात न बिगड़े।
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