नैनीताल। सितंबर का महीना आकर्षक खगोलीय घटनाओं (fascinating celestial events) से भरा रहा। अब सौर मंडल का रहस्यमयी और विशाल ग्रह (mysterious giant planet of the solar system) मंगलवार 14 सितंबर को पृथ्वी के सर्वाधिक निकट आ रहा है। दूरबीन की सहायता से इसे देखा भी जा सकेगा। रात को आकाश में चौथाई चंद्रमा की आभा में नेपच्यून अपने सबसे चमकीले नीले रंग में नजर आएगा।
नेपच्यून सूर्य से सबसे दूर है, जो पृथ्वी से सर्वाधिक दूर होने पर लगभग 4 अरब 54 करोड़ किमी यानी सूर्य से तीस गुने से भी ज्यादा दूरी पर है। आज यह 24 करोड़ किमी नजदीक आकर 4.3 अरब किमी की दूरी पर होगा। सौर मंडल का यह तीसरा सबसे बड़ा ग्रह है। यह बर्फीला है। यहां तापमान माइनस 214 डिग्री सेल्सियस रहता है। नेपच्यून के 14 चंद्रमा हैं।
नेपच्यून के पृथ्वी से बेहद दूर होने के कारण इसका सर्वाधिक निकट आना भी बहुत करीब नहीं कहा जा सकता। नेपच्यून सौरमंडल का एकमात्र ग्रह है, जिसे नग्न आंखों से नहीं देखा जा सकता है। हालांकि, आज (मंगलवार) रात्रि साधारण दूरबीन से नेपच्यून को देखा जा सकता है। नेपच्यून मंगलवार को सूर्यास्त के आसपास पूर्व से उदय होगा। रात 12 बजे यह आकाश में सर्वोच्च बिंदु पर रहेगा और सुबह पश्चिम में अस्त होगा।
आर्य भट्ट शोध एवं प्रेक्षण विज्ञान संस्थान (एरीज) के वैज्ञानिक डॉ. शशि भूषण पांडे ने बताया कि नेपच्यून का दिन केवल 16 घंटे का होता है, लेकिन इसका वर्ष पृथ्वी के 165 साल के बराबर का होता है। इसे सूर्य की परिक्रमा करने में 165 पृथ्वी वर्ष लगते हैं।
अकेला ग्रह जिसकी खोज गणितीय मॉडल से हुई
वर्ष 2006 में जबसे वैज्ञानिकों ने प्लूटो की ग्रह के रूप में मान्यता समाप्त की, तब से नेपच्यून सौर मंडल का सबसे दूर स्थित ग्रह माना जाता है। इसकी दूरी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसके प्रकाश को पृथ्वी तक आने में चार घंटे का समय लगता है। सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक आठ मिनट में पहुंचता है। नेपच्यून को सबसे पहले 1613 में गैलीलियो ने देखा था, लेकिन उन्हें लगा कि यह कोई स्टार है। दोबारा उन्हें यह नजर नहीं आया। नग्न आंखों से दिखाई न देने के कारण लंबे समय तक इसकी खोज नहीं हो सकी। 1846 में वेरियर और जोहान गेले ने भी इसे देखकर नहीं बल्कि गणितीय मॉडल के आधार पर इसकी खोज की।
16 और 17 को चांद संग शनि का खूबसूरत नजारा
14 सितंबर को नेपच्यून के पृथ्वी के सर्वाधिक निकट आने के बाद 16 सितंबर को चांद और शनि और फिर 17 सितंबर को चांद और बृहस्पति आपस में बहुत निकट आकर दर्शनीय नजारा प्रस्तुत करेंगे।
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