टूवूम्बा (Toowoomba )। खगोलविदों ने सी/2023 ए 3 (सुचिंशान-एटलस) नामक एक नए धूमकेतु (comet) की खोज की है, जो संभवत: अगले साल की एक बड़ी खोज साबित हो सकती है. इस धूमकेतु के पृथ्वी और सूर्य के निकट पहुंचने में अब भी 18 महीने से अधिक की देरी है. हालांकि, धूमकेतु सुचिंशान-एटलस (Comet Suchinshan-Atlas) को लेकर पहले से ही सोशल मीडिया पर चर्चा जारी है. इसे लेकर आशावादी लेख लिखे जा रहे हैं कि यह एक शानदार दृश्य कैसे हो सकता है. इस नए बर्फीले पथ की पूरी कहानी क्या है? हर साल कई नए धूमकेतु खोजे जाते हैं जो सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं. अधिकांश लोग बिना किसी सहायता के अपनी आंखों से इसे देखने के लिए बेताब हैं. हर साल संभवत: एक धूमकेतु ऐसा होता है जिसे बिना किसी सहायता के आंखों से देखा जा सकता है.
कभी-कभार बेहद चमकीला धूमकेतु भी दिखेगा. धूमकेतु अल्पकालिक और क्षणिक सुंदरता (Comets short-lived and momentary beauty) की चीजें हैं, इसलिए इनकी खोज हमेशा रोमांचक होती है. धूमकेतु सी/2023 ए 3 (सुचिंशान-एटलस) निश्चित रूप से इस पूरे पैमाने पर खरा उतरता है. चीन में पर्पल माउंटेन ऑब्जर्वेटरी और क्षुद्रग्रह स्थलीय-प्रभाव अंतिम चेतावनी प्रणाली के खगोलविदों ने स्वतंत्र रूप से इस धूमकेतु की खोज की जो वर्तमान में पृथ्वी से एक अरब किलोमीटर दूर बृहस्पति और शनि (Jupiter and Saturn) की कक्षाओं के बीच है. यह अंदर की ओर आ रहा है, एक ऐसी कक्षा में घूम रहा है जो इसे सितंबर 2024 में सूर्य के 5.9 करोड़ किलोमीटर के दायरे में लाएगी. धूमकेतु अभी बहुत दूर है, लेकिन इस तथ्य मात्र से खगोलविद उत्साह में हैं.
Comet C/2023 A3 (Tsuchinshan-ATLAS) path for 2024 ☄️
Learn more about the comet: https://t.co/yk4N6TNXyX pic.twitter.com/E7DEghc9UM— Star Walk (@StarWalk) March 10, 2023
प्राप्त जानकारी के अनुसार यह एक कक्षा का अनुसरण कर रहा है जो इसे वास्तव में शानदार बनाने वाला है. इस धूमकेतु की खासियत यह है कि ये सौर मंडल के माध्यम से एक पथ का अनुसरण कर रहा है. जैसे ही धूमकेतु सूर्य के करीब आते हैं, वे गर्म हो जाते हैं और उनकी बर्फीली सतह पिघलने (ठोस से गैस में बदलने) लगती है. धूमकेतु की सतह से फूटकर, यह गैस धूल के साथ चलती है तथा इसका केंद्र गैस और धूल के एक विशाल बादल से घिर जाता है जिसे ‘कोमा’ कहा जाता है. कोमा को फिर सौर हवाएं सूर्य से दूर धकेल देती हैं, जिसके परिणामस्वरूप सूर्य की सीध में एक पूंछ का निर्माण होता है जो सूर्य से दूरी का संकेत देती है.
कोई धूमकेतु सूर्य के जितना करीब होगा, उसकी सतह उतनी ही गर्म होगी और वह उतना ही अधिक सक्रिय होगा. निश्चित रूप से सुचिंशान-एटलस इन सभी पैमानों में फिट बैठता है. लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि इसमें एक बड़े आकार का केंद्र है, जो इसे बेहद चमकीला बनाता है, जिसकी हमारे सितारे के साथ टकराव होने की पूरी संभावना है. यह लगभग सीधे पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरेगा. एक धूमकेतु पृथ्वी के जितना करीब आता है, वह हमें उतना ही चमकदार दिखाई देगा.
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