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    खगोलविदों ने हासिल की बड़ी कामयाबी, रेड सुपरजायंट तारे की मौत को किया रिकॉर्ड

  • January 08, 2022

    नई दिल्‍ली । हमारे वैज्ञानिक ब्रह्मांड और सौरमंडल (universe and solar system) में होने वाली ज्यादा से ज्यादा गतिविधियों पर नजर रखने की कोशिश करते हैं और इसी कोशिश के तहत पहली बार खगोलविदों (astronomers) ने वास्तविक समय (रियल टाइम) में एक रेड सुपरजायंट तारे (stars) की मौत को रिकॉर्ड करने में कामयाबी हासिल की है। रिसर्चर्स ने टेलिस्कोप का इस्तेमाल करके एक विशाल लाल तारे में विस्फोट को देखा।

    ब्रह्मांड के इस दुर्लभतम घटना को खगोलविदों ने कैमरे में रिकॉर्ड किया है। इस वीडियो में एक सितारे में विस्फोट, जिसे सुपरनोवा विस्फोट कहा जाता है, उसे रिकॉर्ड किया गया है। वीडियो में साफ साफ देखा जा सकता है, कि एक सितारे में किस तरह से विस्फोट हो रहा है।

    टाइम बम को फटते देखने जैसा अनुभव
    यह तारा पृथ्वी से 120 मिलियन (12 करोड़) प्रकाश वर्ष दूर स्थित एनजीसी 5731 आकाशगंगा में स्थित था। वैज्ञानिकों ने बताया कि विस्फोट से पहले यह तारा सूर्य से 10 गुना अधिक भारी था। इसमें मौजूद हाइड्रोजन, हीलियम और अन्य तत्वों के जरिए जलने के बाद यह फट गया। इस घटना को देखने से पहले खगोलविदों का मानना था कि विस्फोट से पहले विशालकाय तारा शांत था। खगोलविदों के लिए यह अनुभव किसी टिक-टिक करते टाइम बम को फटते देखने जैसा रहा।



    विस्फोट से 130 दिन पहले दिखी असामान्य गतिविधियां
    नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी और कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय(University of California), बर्कले के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में, इस विशाल तारे में असामान्य गतिविधि का पता खगोलविदों ने 130 दिन पहले लगाया था। टीम ने लाल सुपरजायंट तारे का अंतिम 130 दिनों के दौरान अवलोकन किया, जिसके बाद इसमें घातक विस्फोट हुआ। इस रिसर्च के तहत खगोलविदों का मकसद पूरे ब्रह्मांड में तारों के विकिरण को देखना है। यह भी देखना है कि क्या इससे तारों की मौत के संकेत मिलते हैं।

    मौत से पहले के चरणों को समझने में मिली सफलता
    यह रिसर्च एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में छह जनवरी को प्रकाशित हुई है। शोधकर्ताओं ने कहा कि तारे के विकास के अंतिम वर्षों में बड़े सितारों का व्यवहार लगभग पूरी तरह से अनियंत्रित होता है। हालांकि, नए अवलोकनों ने विस्फोट से पहले अंतिम वर्ष में एक लाल सुपरजायंट से चमकदार विकिरण का पता लगाया। इससे पता चलता है कि सौरमंडल में कुछ सितारों को अपनी आंतरिक संरचना में महत्वपूर्ण परिवर्तन से गुजरना पड़ता है।

    रिसर्च में कहा गया है कि विशाल तारों में जब विस्फोट होता है, उसे देखना मील का पत्थर है। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में नेशनल साइंस फाउंडेशन ग्रेजुएट रिसर्च फेलो के प्रमुख अध्ययन लेखक व्यान जैकबसन-गैलन (Wynn Jacobson-Galan) ने कहा कि, “यह हमारी समझ में एक बड़ी सफलता है कि मरने से पहले सितारों के अंदर क्या होता है और सितारों में विस्फोट कैसे होता है। उन्होंने कहा एक लाल सुपरजायंट स्टार में प्री-सुपरनोवा गतिविधि का प्रत्यक्ष पता लगाना, एक सामान्य प्रकार के सुपरनोवा में पहले कभी नहीं देखा गया है। पहली बार हमने एक लाल सुपरजायंट स्टार में विस्फोट देखा है।” उन्होंने कहा इस घटना से हमें विशालकाय तारों (giant stars) के मरने से पहले के चरणों को समझने में सफलता मिली है।

    हवाई में दर्ज हुई घटना
    बर्बाद तारे को पहली बार 2020 में माउ के हलीकल पर यूनिवर्सिटी ऑफ हवाई के इंस्टीट्यूट फॉर एस्ट्रोनॉमी पैन-स्टार्स (-STARRS ) के द्वारा देखा गया था। इस तारे का पता लाल सुपरजायंट से निकलने वाले प्रकाश की भारी मात्रा के कारण लगाया गया था, एक महीने बाद एक सुपरनोवा ने आकाश को रोशन किया। जिसके शक्तिशाली चमक को खगोलविदों द्वारा रिकॉर्ड किया गया, और इस रूप में उन्होंने ऊर्जावान विस्फोट का पहला स्पेक्ट्रम प्राप्त किया। खगोलविदों के मुताबिक, टाइप-2 सुपरनोवा होने से पहले इस तारे ने बड़े नाटकीय ढंग से आत्म-विनाश किया। ऐसे तारों के केंद्र में हाइड्रोजन, हीलियम और अन्य तत्वों के जलने के बाद तेजी से विघटन और हिंसक विस्फोट के कारण इनकी मौत होती है। इसे खगोलविदों ने ‘सुपरनोवा 2020टीएलएफ’ नाम दिया।

    हालांकि, ऐसा ही एक चर्चित लाल तारा बीटलजूस है, जिसकी मंद पड़ती चमक ने खगोलविदों का ध्यान खींचा था। इसके चलते इसके सुपरनोवा (विस्फोट) का अनुमान लगाया गया लेकिन यह अभी कायम है।

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