ज्योतिष के अनुसार शनि सबसे धीमी गति से चलने वाले ग्रह हैं। शनि की मंद चाल की वजह से काफी दिनों तक इनका प्रभाव रहता है। शनिदेव साल 2020 से ही स्वयं की राशि यानी मकर में गोचर कर रहे हैं। शनि जब किसी एक राशि में भ्रमण करते हैं तब कुछ राशियों पर साढ़ेसाती तो कुछ पर ढैय्या चलने लगती है। यही वजह है कि शनि की साढ़े साती की तरह शनि ढैय्या का भी जातक पर बुरा प्रभाव पड़ता है। शनि की साढ़े साती सात वर्ष तो ढैय्या करीब ढाई साल के लिए होती है। इस समय शनि अपनी स्वराशि मकर में गोचर कर रहे हैं। शनि ढैय्या की चपेट में मिथुन और तुला राशि वाले हैं, हालांकि ज्योतिष में उसके उपाय भी बताए गए है जसे इस प्रकार है
मिथुन राशि- मिथुन राशि वालों पर 24 जनवरी 2020 से शनि ढैय्या चल रही है। यह 29 अप्रैल 2022 को समाप्त होगी। हालांकि 12 जुलाई 2022 को शनि ढैय्या फिर से आप पर शुरू होगी, 17 जनवरी 2023 को पूर्णतया शनि ढैय्या से मुक्ति मिल जाएगी।
शनि ढैय्या से पीड़ित राशि वालों को आर्थिक, शारीरिक और मानसिक कष्टों का सामना करना पड़ता है। इस दौरान किसी भी काम में सतर्कता बरतने की जरूरत होती है। शनि ढैय्या के प्रभाव को कम करने के लिए शनिदेव की पूजा करनी चाहिए। इसके अलावा पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाने से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं। जब शनि गोचर से किसी राशि से चतुर्थ या अष्टम भाव में होते हैं तो यह स्थिति ढैय्या कहलाती है।
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