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    विधानसभा चुनाव : आंध्र में TDP 154 सीट से, ओडिशा में बीजद 49 सीट पर आगे, जानिए BJP का हाल

  • June 04, 2024

    नई दिल्‍ली (New Delhi)। आज लोकसभा चुनाव 2024 (today lok sabha election 2024) के नतीजे सामने आ रहे हैं। इसी बीच ओडिशा और आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव के भी नतीजे भी आएंगे। इन दोनों राज्यों से भाजपा और एनडीए (NDA) के लिए अच्छी खबर आ सकती है। सभी प्रमुख एग्जिट पोल (exit poll) में एनडीए को बढ़त दिखाई गई है।

    ओडिशा में भाजपा को विधानसभा सीटों में भी फायदा मिलता दिख रहा है। अगर एग्जिट पोल के अनुमान नतीजों में बदल जाते हैं तो शायद ओडिशा से नवीन पटनायक सरकार की विदाई भी हो सकती है। जबकि आंध्र प्रदेश में भी सत्ता बदलने का अनुमान है। यहां जगन मोहन रेड्डी को झटका लग सकता है।
    देशभर की लोकसभा सीटों के साथ-साथ आंध्र प्रदेश और ओडिशा की विधानसभा सीटों पर भी वोटों की गिनती शुरू हो चुकी है। शुरुआती रुझानों में आंध्र प्रदेश में फिलहाल टीडीपी प्लस 154 सीटों पर आगे चल रही है। वहीं वाईएसआरसीपी 14 सीटों पर आगे है। जबकि अन्य दलों का खाता भी नहीं खुल पाया है। इसके अलावा, ओडिशा में भाजपा 80 सीटों से आगे चल रही है। वहीं बीजद के खाते में 49 सीटें है। जबकि कांग्रेस और अन्य का भी खाता खुल गया है। कांग्रेस 15 सीटों पर आगे है, जबकि अन्य के खाते में तीन सीटें गई हैं।

    ओडिशा में घमासान
    2024 के ओडिशा विधानसभा चुनावों में बीजद की तरफ से नवीन पटनायक एक बार चुनावी मैदान में हैं तो दूसरी तरफ भाजपा ने बिना किसी क्षेत्रीय चेहरे के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के भरोसे यह चुनाव लड़ा। ओडिशा विधानसभा की 147 सीट और लोकसभा की 21 सीटों के लिए 13 मई से 1 जून तक चार चरणों में मतदान हुआ और नतीजे आज आएंगे।

    ओडिशा में भाजपा को लोकसभा और विधानसभा दोनों में ही बड़ा फायदा होता दिख रहा है। लोकसभा चुनाव में इंडिया टूडे एक्सिस एग्जिट पोल का अनुमान है कि भाजपा को विधानसभा चुनाव में 62-80 सीटें मिल सकती हैं, जबकि बीजद को भी 62-80 सीटें मिलने का अनुमान है। वहीं, कांग्रेस के खाते में पांच से आठ सीटें जाने की संभावना है। बता दें कि ओडिशा विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 74 सीटों का है।

    2019 के विधानसभा चुनावों में बीजद को 112 सीटें मिली थीं। जबकि भाजपा को 23 सीटें, कांग्रेस को नौ, सीपीआई एम को एक और एक सीट निर्दलीय के खाते में गई थी। इस चुनाव में बीजद को करीब 45 फीसदी वोट मिले थे। जबकि भाजपा को करीब 33 फीसदी वोट मिले थे। कांग्रेस के खाते में 16 फीसदी वोट और अन्य को 6 फीसदी वोट मिले थे।

    क्या आंध्र प्रदेश में सीएम जगन का जनाधार खिसका?
    आंध्र प्रदेश की 175 विधानसभा सीटों पर कड़ी टक्कर का मुकाबला है। यहां बहुमत के लिए किसी भी पार्टी या गठबंधन को 88 सीटें जीतनी होंगी। यहां एक तरफ सीएम जगन मोहन रेड्डी हैं, जिनकी सरकार ने 30 मई को ही पांच साल पूरे किए हैं तो दूसरी तरफ टीडीपी-भाजपा गठबंधन है, जो इस चुनाव में जीत दर्ज करने के दावे कर रहा है। पीपुल्स प्लस के एग्जिट पोल के मुताबिक वाईएसआर कांग्रेस को 45-60 सीटें मिलने का अनुमान है। जबकि टीडीपी और भाजपा गठबंधन को 111-135 सीटें मिल सकती हैं। कांग्रेस खाता खोलने के लिए भी संघर्ष करेगी। अन्य का भी सूपड़ा साफ होगा।

    चुनाव से पहले एनडीए में दोबारा शामिल हुई थी टीडीपी
    चुनाव से पहले भाजपा की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और तेलगु देशम पार्टी (टीडीपी) के नेता चंद्रबाबू नायडू ने वापसी की थी। साल 1996 में टीडीपी पहली बार एनडीए का हिस्सा बनी थी। चंद्रबाबू नायडू ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मिलकर काम किया था। इतना ही नहीं, आंध्र प्रदेश में 2014 का लोकसभा और विधानसभा चुनाव भी टीडीपी ने भाजपा के साथ लड़ा था, लेकिन 2019 में टीडीपी, एनडीए से अलग हो गई थी।



    2019 में था यह आंकड़ा
    साल 2019 में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) ने 175 सीटों में से 151 सीटें जीतकर भारी बहुमत से चुनाव जीता था, जबकि मौजूदा तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने 23 सीटें जीती थीं। जन सेना पार्टी (जेएसपी) ने एक सीट के साथ विधानसभा में प्रवेश किया था, जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कोई भी सीट जीतने में असफल रही थी।

    तब जगन मोहन रेड्डी को आंध्र प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया था। इस बार चंद्रबाबू नायडू की अगुवाई में तेलुगू देशम, भाजपा और पवन कल्याण की जन सेना पार्टी का गठबंधन हुआ है। वाईएस शर्मिला के नेतृत्व में फिर से उभरती कांग्रेस का इस बार लेफ्ट पार्टियों के साथ ने चुनाव को त्रिशंकु बना दिया है।

    175 विधायकों को चुनने के लिए आंध्र प्रदेश के लोगों ने 13 मई को अपना वोट दिया था। एक जमाने में कांग्रेस और तेलुगू देशम के हाथ में इस राज्य की बागडोर रहती थी, लेकिन 2009 में वाईएस राजशेखर रेड्डी की हेलीकॉप्टर हादसे में मौत के बाद उनके बेटे वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने खुद को आंध्र प्रदेश की राजनीति में स्थापित किया। 2019 में सत्ता में आने के बाद से ही कई सामाजिक योजनाओं के चलते उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई है।

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