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    विधानसभा चुनावः मप्र, छग, राजस्थान.. इन राज्यों में भी कर्नाटक मॉडल अपनाएगी कांग्रेस!

  • May 14, 2023

    नई दिल्ली (New Delhi)। क्या कांग्रेस (Congress) ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव (Karnataka assembly elections) में जीत के साथ पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की भाजपा (BJP) से सीधे टकराने और उसे हराने की औषधि ढूंढ ली है? ऐसा निष्कर्ष निकालना अभी जल्दबाजी होगी, लेकिन स्थानीय मुद्दों, नेताओं और योजनाओं पर केंद्रित रहते हुए उसने जो परिणाम कर्नाटक में हासिल किया, उसे हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में मिली जीत का बड़ा रूप कहा जा रहा है।

    यही नहीं, आने वाले महीनों में तीन अन्य बड़े राज्यों के विधानसभा चुनाव और 2024 के आम चुनाव में वह इसी रणनीति को दोहरा सकती है। कांग्रेस को इस जीत से क्या मिला, क्या असर होगा, इस संदर्भ में इसका विश्लेषण रोचक हो सकता है।

    विस व आम चुनावों के लिए विश्वास
    कांग्रेस 2019 आम चुनाव के बाद से हिमाचल प्रदेश को छोड़ सभी विधानसभा चुनाव हारी। भाजपा के सामने हर चुनाव में उसकी हार निश्चित मानने का ट्रेंड बनता दिख रहा था। कर्नाटक की जीत ने कांग्रेस को राजस्थान, मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ के आगामी विधानसभा चुनावों के लिए आत्मविश्वास से भर दिया है। हालांकि, पिछली बार इन्हीं तीनों राज्यों में जीत के बाद कांग्रेस 2019 लोकसभा चुनाव हार गई थी। कांग्रेस को यह याद रखना होगा।


    मुद्दे, नेता व योजनाएं प्रभावी रही स्थानीय नीति
    हिमाचल में कांग्रेस ने पुरानी पेंशन योजना वापस लाने, महिलाओं को 1,500 रुपये और एक लाख रोजगार जैसे वादे किए थे। कर्नाटक में भी ऐसे वादे किए गए। पार्टी को विश्वास है कि पीएम मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा का विजयी रथ रोकने के लिए यह रणनीति कारगर होगी।

    पार्टी अध्यक्ष खरगे को श्रेय
    कर्नाटक जीत का श्रेय कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को दिया जा सकता है। उनके नेतृत्व में कांग्रेस भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के गृह राज्य हिमाचल प्रदेश में जीत दर्ज कर चुकी है। हालांकि गुजरात, त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में हार से उन्हें कमजोर माना जाने लगा था। दलित वोटों को भी कांग्रेस की जीत में अहम माना जा रहा है।

    क्षेत्रीय पार्टियों से मजबूत सौदेबाजी…
    बिहार में महागठबंधन में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) व भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) माले कांग्रेस को सबसे कमजोर कड़ी मान रहे थे। कांग्रेस वहां अपने कोटे की 70 में से 51 सीटें हार गई थी। तमिलनाडु विधानसभा चुनाव 2016 में द्रमुक ने उसे 41 सीटें दी थी। पिछले चुनाव में यह घटाकर 25 कर दी। अब विधानसभा चुनावों व 2024 के आम चुनाव के लिए कांग्रेस एक मजबूत पार्टी के तौर पर क्षेत्रीय पार्टियों से सौदेबाजी की स्थिति में नजर आ रही है।

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