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बिहार में लोकसभा के साथ हो सकते हैं विधानसभा के चुनाव, जानिए संकेत

August 11, 2022

नई दिल्ली। महाराष्‍ट्र के बाद बिहार की राजनीति (Bihar politics after Maharashtra) में भूचाल आ गया है। लंबे समय से चल रहे बिहार में जदयू से गठबंधन (alliance with JDU) टूटने के बाद भाजपा अब नई विपक्ष की भूमिका को संभालने में जुट गई है। पार्टी का भावी मिशन 2024 का लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) है। उसका मानना है कि विधानसभा चुनाव भी समय से पूर्व लोकसभा चुनाव के साथ हो सकते हैं। ऐसे में पार्टी राज्य के सभी विधानसभा क्षेत्रों में अपनी ताकत बढ़ाने और विरोधी खेमे के खिलाफ आक्रामक अभियान चलाने पर केंद्रित करने जा रही है।

वहीं दूसरी ओर बिहार में सरकार से बाहर होने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने बुधवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जमकर सियासी हमला बोला। उन्होंने नीतीश कुमार को महत्वाकांक्षी बताते हुए राजद के नेताओं को सावधान करते हुए कहा कि वे मुख्यमंत्री बने रहने के लिए राजद को भी तोड सकते हैं।



अब माना जा रहा है कि भाजपा नेतृत्व जल्द राज्य में अपने संगठन में जरूरी फेरबदल करेगा, ताकि नई चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना कर भावी चुनावी तैयारियों को तेज किया जा सके। पार्टी का मानना है कि राजद के साथ जाने पर जदयू की छवि पर भी असर पड़ेगा और उससे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी प्रभावित होंगे। नई सरकार में बड़ी पार्टी होने के नाते राजद का सरकार पर वर्चस्व रहेगा और एक बार फिर बिहार में स्थितियां बदलेंगी, जिसका राजनीतिक लाभ भाजपा को मिलेगा।

भाजपा रणनीति के तहत कानून व्यवस्था से लेकर भ्रष्टाचार के मुद्दों पर महागठबंधन सरकार को कठघरे में खड़ा करेगी। भाजपा विपक्षी खेमे की स्थितियों पर भी नजर रखे हुए है, जिसमें नीतीश कुमार 2024 में प्रधानमंत्री पद के संभावित उम्मीदवार बन सकते हैं।

भाजपा अब जिन प्रमुख मुद्दों पर विधानसभा से लेकर सड़क तक रहेगी, उनमें राजद की पिछली सरकार का जंगलराज, भ्रष्टाचार, विश्वासघात और अवसरवाद प्रमुख है। इसके अलावा बिहार के विकास को लेकर भी पार्टी जनता के बीच जाएगी। भाजपा की सबसे बड़ी दिक्कत राज्य में प्रभावी नेतृत्व की कमी है। हालांकि, पार्टी का मानना है कि सामूहिक नेतृत्व और सामाजिक समीकरण को साधकर आगे बढ़ेगी। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नेतृत्व जनता को उसके साथ लाने के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होगा। पार्टी नेताओं का यह भी मानना है कि राजद और जदयू का तालमेल जदयू में ही एक बड़े वर्ग को रास नहीं आ रहा है।

गत दिवस भाजपा प्रदेश कार्यालय में शाम में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए सुशील मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार उप राष्ट्रपति बनना चाहते थे। जदयू के कई नेताओं ने भाजपा के मंत्रियों से कहा था कि नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति बना दीजिए। मगर ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि आरसीपी सिंह को लेकर भी जदयू सफेद झूठ बोल रही है। आरसीपी सिंह को केंद में मंत्री बनाने के लिए नीतीश कुमार ने ही सहमति दी थी।

मोदी ने जदयू के पार्टी तोड़ने के आरोपों को भी खारिज करते हुए कहा कि शिवसेना महाराष्ट्र में हमारी सहयोगी पार्टी नहीं थी जबकि जदयू सहयोगी पार्टी है। सहयोगी को तोड भी देते तो सरकार कैसे बना लेते। उन्होंने दावा किया कि भाजपा ने आज तक किसी को धोखा नहीं दिया है। नीतीश कुमार को हमने पांच बार बिहार का मुख्यमंत्री बनाया और 17 वर्षों के संबंध को दो बार एक झटके में तोड दिया।

सुशील मोदी ने कहा कि 2020 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के नाम पर नहीं बल्कि नरेन्द्र मोदी के नाम पर एनडीए को वोट मिले थे। अगर नीतीश के नाम पर लोगों ने वोट दिया होता तो हमलोग 150 पार कर जाते और जदयू को केवल 43 सीटों पर नहीं जीत हासिल करती।

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