जम्मू । जम्मू कश्मीर (Jammu & Kashmir) में आर्टिकल 370 खत्म किए जाने के बाद लगातार विधानसभा चुनाव (assembly elections) कराए जाने की मांग हो रही है. अब सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि अगले साल मार्च के बाद कभी भी घाटी में चुनाव कराए जा सकते हैं. इसे लेकर चुनाव आयोग (election Commission) बड़े स्तर पर तैयारी कर रहा है. चुनाव आयोग की कोशिश है कि पिछले 3 दशक के दौरान कश्मीर में बिगड़े हालात के चलते कश्मीर से बाहर रह रहे करीब साढ़े चार लाख के करीब कश्मीरी पंडितों व अन्य कश्मीरियों की मतदाता सूची (voter list) को जल्द से जल्द फाइनल कर लिया जाए. यही नहीं पश्चिमी पाकिस्तान से आए शरणार्थी हिंदुओं को भी वोट का आधिकार दिए जाने पर काम हो रहा है. जो सालों से कश्मीर रह तो रहे थे लेकिन उन्हें अब तक वोट देने का आधिकार नहीं था.
सूत्रों की मानें तो कश्मीर में रह रहे भारत के दूसरे हिस्सों के लोगों को भी कागजातों की जांच के बाद वोटर लिस्ट में शामिल किया जाएगा. इन सभी प्रक्रियाओं को अगले दो महीने में पूरा कर लिया जाएगा. जो आगामी विधानसभा चुनाव में बड़ा फैक्टर साबित होने वाले हैं.
लाखों लोगों को मिलेगा वोटिंग का अधिकार
बता दें की 80 और 90 के दशक में कश्मीर में बिगड़े हालात की वजह से लाखों परिवारों को रातों रात कश्मीर छोड़कर भागना पड़ा था. एक गणना के मुताबिक करीब 4 लाख 44 हजार ऐसे कश्मीरी हैं जो देश के दूसरे हिस्सों में रह रहे हैं. सूत्रों की मानें तो केंद्रीय चुनाव आयोग आगामी विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए उनकी वोटर लिस्ट लगभग फाइनल कर ली है और वोटिंग के लिए देश के अलग-अलग शहरों में करीब 149 सेंटर भी निर्धारित किए गए हैं. जहां वो आसानी से आगामी विधानसभा चुनाव में मतदान कर सकेंगे.
यही नहीं ये पहली बार होगा जब पश्चिमी पाकिस्तान से भागकर कश्मीर में बसे शरणार्थी हिंदुओं को भी मतदान करने का अधिकार होगा. एक आंकड़े के मुताबिक ऐसे करीब 1लाख 46 हजार शरणार्थी हैं जो कश्मीर के अलग-अलग हिस्सों में रह तो रहे हैं, लेकिन उन्हें अब तक वोट देने का अधिकार नहीं था. उनको भी वोटर लिस्ट में शामिल किया जा रहा है. साथ ही देश के दूसरे राज्यों की तरह कश्मीर में भी बाहरी राज्यों के जो लोग सालों से रह तो रहे हैं, लेकिन अब तक उन्हें जम्मू कश्मीर में वोटिंग का अधिकार नहीं था उन्हें भी वोटिंग का अधिकार दिया जाएगा. एक आंकड़े के मुताबिक ऐसे करीब डेढ़ लाख से ज्यादा लोग हैं जो नए वोटर बन सकते हैं.
पहाड़ी कबीले की 17 लाख आबादी पर बीजेपी की नजर
आगामी विधानसभा चुनाव में पहाड़ी कबीले के लोग भी बड़ा फैक्टर हैं. दो दिन पहले ही गृहमंत्री अमित शाह के दौरे के बाद अचानक पहाड़ी समुदाय चर्चा में आ गया है. दरअसल ये बहस तब शुरू हुई जब गृह मंत्री अमित शाह ने राजौरी की सभा में पहाड़ी समुदाय को लेकर जस्टिस शर्मा कमेटी की सिफारिशों को लागू किए जाने पर सहमति जताते हुए कहा कि कमेटी ने पहाड़ी कबीले के लोगों को एसटी का स्टेट्स दिए जाने की सिफारिश की है. जिसे सरकार पूरा करेगी. शाह का ये बयान और कश्मीर घाटी में भारतीय जनता पार्टी को मिले समर्थन को भाजपा के लिए बड़ा मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है. क्योंकि श्रीनगर के बाहर ये पहला मौका था जब अमित शाह ने बारामूला में इतना बड़ा कार्यक्रम किया हो और उस मंच से पाकिस्तान को उनकी जगह दिखाते हुए आतंकियों के मूल को उखाड़ फेंकने की बात कही हो.
जानकार मानते हैं कि अगर पहाड़ी कबीले के लोग भाजपा के पक्ष में जाते हैं तो अगला चुनाव बड़ा ही रोचक साबित होने वाला है. क्योंकि 70 लाख की आबादी वाले जम्मू कश्मीर में 17 लाख पहाड़ी कबीले की आबादी और देश के अलग हिस्सों में रह रहे कश्मीरी पंडित, पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थी और देश के दूसरे हिस्सों के अप्रवासी कश्मीरियों की संख्या को जोड़ दें तो यह करीब 26 लाख से ज्यादा आबादी होती है. जो चुनावी दृष्टिकोण से बड़ा फिगर माना जा रहा है.
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