भोपाल (Bhopal)। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव (Assembly elections in Madhya Pradesh) के लिए आज मतदान किया जा रहा है। 17 नवंबर शाम को सभी 200 सीटों पर मतदाता अपना फैसला ईवीएम में कैद करेंगे जो 3 दिसंबर को सामने आएगा। नतीजे से पहले दोनों ही पार्टियों को उम्मीद है कि वह जनता तक अपनी बात पहुंचाने में कामयाब रहे हैं और उन्हें बहुमत मिलने जा रहा है। करीब दो दशक से (बीच में डेढ़ साल छोड़कर) सत्ता में काबिज भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को राजधानी भोपाल और इसके आसपास फैले मध्य क्षेत्र में एक बार फिर अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है, जोकि पिछले दिन दशक में पार्टी के लिए मजबूत गढ़ के रूप में उभरा है। वहीं, कांग्रेस को भी भगवा किले में सेंध लगाने की आस है।
भाजपा का कहना है कि उसने सामाजिक-राजनीतिक समीकरणों के मुताबिक काम किया है और अपने गढ़ को और मजबूत किया है। वहीं, विपक्षी कांग्रेस का कहना है कि उसने अपनी पिछली गलतियों में सुधार किया है और इस बार इस क्षेत्र में नतीजा जरूर अलग रहेगा। एक राजनीतिक विश्लेषक ने दावा किया कि मध्य क्षेत्र में एक बार फिर भाजपा को बढ़त मिल सकती है। प्रदेश में मध्य क्षेत्र को ‘मध्य भारत’ भी कहा जाता है, जिसमें भोपाल और नर्मदापुरम राजस्व संभाग है। इसमें 8 जिले भोपाल (7 सीटें), विदिशा (5), राजगढ़ (5), सिहोर (4), रायसेन (4), नर्मदापुरम (4), हरदा (2) और बेतूल (5) हैं। भाजपा ने 2013 में इस क्षेत्र की 30 सीटों पर कब्जा किया था। 2018 चुनाव के बाद भाजपा के इस क्षेत्र में 24 और कांग्रेस के पास 12 विधायक हैं।
एक अहम सीट भोपाल से करीब रायसेन जिले में भोजपुर है, जिस पर भाजपा 1982 से जीत हासिल करती रही है। केवल 2003 में कांग्रेस के राजेश पटेल ने भाजपा के विधायक सुरेंद्र पटवा को मात दी थी। सुरेंद्र के पिता और पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा ने इस सीट से 4 बार जीत हासिल की थी। सुरेंद्र को एक बार फिर इस सीट से मैदान में उतारा गया है। होसंगाबाद सीट पर भी मुकाबला दिलचस्प है जहां दो भाई गिरिजाशंकर शर्मा (कांग्रेस) और सीताशरण शर्मा (बीजेपी) एक दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं। इस क्षेत्र में एक अन्य पारिवारिक लड़ाई में मौजूदा बीजेपी विधायक संजय शाह अपने भतीजे और कांग्रेस उम्मीदवार अभिजीत शाह के खिलाफ लड़ रहे हैं। दोनों के बीच हरदा जिले की टिमरनी सीट पर टक्कर है।
शिवराज के मंत्री कमल पटेल (हरदा), प्रभुराम चौधरी (सांची) और विश्वास सारंग (भोपाल-नारेला) भी इसी क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं। पिछले चुनाव में यही एकमात्र क्षेत्र है जहां से दो मुस्लिम नेता आरिफ अकील (भोपाल नॉर्थ) और आरिफ मसूद (भोपाल सेंट्रल) ने चुनाव जीता था। अकील के बेटे आतिफ और मजूदा विधायक मसूद इस बार कांग्रेस के टिकट पर भोपाल नॉर्थ और भोपाल सेंट्रल सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।
वरिष्ठ पत्रकार गिरिजा शंकर ने कहा कि मध्य प्रदेश का गठन अलग-अलग राजनीतिक प्रभाव वाले पुराने राज्यों को मिलाकर किया गया था। उन्होंने कहा, ‘भोपाल स्टेट को बाद में आजादी मिली, लेकिन आरएसएस ने सीहोर, आष्टा, भोपाल और आसपास के इलाकों पर ध्यान केंद्रित किया जिससे जनसंघ और बाद में भाजपा का प्रभाव बढ़ा। इस बार भी स्थिति वैसी ही दिख रही है क्योंकि भाजपा का दबदबा कायम रहने की संभावना है।’
राज्य में बीजेपी के सचिव रजनीश अग्रवाल ने कहा कि पार्टी को मध्य क्षेत्र में बेतुल और राजगढ़ जिले की कुछ सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था क्योंकि कुछ गलतियां हुईं थीं। उन्होंने कहा, ‘इस बार पार्टी ने उन चूक को दूर कर लिया है। सामाजिक राजनीतिक समीकरण के हिसाब से भोपाल और नर्मदापुरम डिवीजन में काम किया है और अपने गढ़ को मजबूत किया है।’ मध्य प्रदेश में कांग्रेस के मीडिया डिपार्टमेंट के चेयरमैन केके मिश्रा ने इस क्षेत्र में पार्टी के कमजोर प्रदर्शन के लिए संगठन में कुछ खामियों को जिम्मेदार बताया। हालांकि उन्होंने भी दावा किया कि अब स्थिति बदल चुकी है। मिश्रा ने कहा, ‘इस बार कांग्रेस ने सबकुछ दुरुस्त कर लिया है और बूथ स्तर तक संगठन बेहद मजबूत है।’
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