जबलपुर। मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में इस बार राजनीतिक दल आम वोटर के साथ-साथ अपने दल के अंतिम सिपाही को भी साधने में जुटे हुए हैं। यानी बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को खुश करने और उत्साहित करने के लिए राजनीतिक दलों के आला नेता मैदान में उतर चुके है। मध्य प्रदेश की राजनीति में अब तक पार्टी के बड़े नेताओं को तवज्जो मिलती रही है, लेकिन इस बार के विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों के अंतिम सिपाही पर भी दांव खेला जा रहा है। बीजेपी हो या फिर कांग्रेस दोनों ने ही अपने बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं में जोश भरने का काम शुरू कर दिया है। बात पहले कांग्रेस पार्टी के करें तो कांग्रेस पार्टी पिछले 70 सालों से मास पॉलिटिक्स करती आई है यानी कि जिस नेता के पीछे भीड़ तंत्र है वह नेता है लेकिन अब कांग्रेस ने अपने काम में बदलाव किया है और वह भी केटर वॉइस सिस्टम को अपना रही है। यही वजह है कि दिग्विजय सिंह हर विधानसभा सीट पर जाकर ब्लॉक अध्यक्षों के साथ कार्यकर्ताओं की बैठकें ले रहे हैं। कुल मिलाकर कहा जाए तो मध्य प्रदेश की राजनीति में अब झंडा उठाने वाले कार्यकर्ता की पूछपरख बढ़ गई है जो इस कार्यकर्ता को साध लेगा। उसके लिए सत्ता तक पहुंचने का रास्ता आसान हो जाएगा। क्योंकि आम जनता को पोलिंग बूथ तक लाने का असल काम तो यही कार्यकर्ता करता है।
बीजेपी ने हमेशा से जमीनी कार्यकर्ता को बढ़ाने का काम किया है और यही वजह है कि बीजेपी कांग्रेस की इस रणनीति को नकल बता रही है। सांसद राकेश सिंह का कहना है नकल करने के लिए भी अकल की जरूरत होती है और कांग्रेस लाख कोशिश कर ले लेकिन बीजेपी जैसा समर्पित कार्यकर्ता कहां से लाएगी।
राकेश सिंह सासंद भाजपा
कांग्रेस के विधायक और पूर्व मंत्री लखन घनघोरिया का कहना है कि कांग्रेस ने 2018 के पहले कैडर सिस्टम पर काम करना शुरू कर दिया था जो अब नजर आने लगा है आज के समय कांग्रेस के पास कैडर भी है और लीडर भी है।
लखन घनघोरिया, विधायक कांग्रेस
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