नई दिल्ली (New Delhi.)। मेघालय और नागालैंड में विधानसभा चुनाव (Assembly elections in Meghalaya and Nagaland) के लिए चल रहे चुनाव का शोर (election noise) आज यानि 25 फरवरी की शाम को थम गया। दोनों ही रियासतों में 27 फरवरी को कड़ी सुरक्षा के बीच वोट डाले जाएंगे। मतदान के लिए तमाम तैयारियां अंतिम चरण में हैं वहीं, एक अन्य पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा में चुनाव हो चुके हैं। इन तीनों राज्यों के परिणाम दो मार्च को घोषित होंगे। इस तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में 818 उम्मीदवार मैदान में हैं। इन 818 उम्मीदवारों में से 441 राष्ट्रीय दलों से हैं, 150 राज्य दलों से हैं, 106 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त दलों से हैं। 121 उम्मीदवार निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। इन 818 उम्मीदवारों में से 69 (आठ फीसदी) दागी हैं।
42 फीसदी करोड़पति उम्मीदवार चुनावी मैदान में
इस चुनाव में उतरे 818 उम्मीदवारों में से 347 (42 फीसदी) करोड़पति हैं। राज्यवार आंकड़ें देखें तो मेघालय में सबसे ज्यादा 375 में से 186 (50 फीसदी) करोड़पति चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, नगालैंड में 184 से 116 (63 फीसदी) प्रत्याशी करोड़पति हैं। त्रिपुरा में चुनाव मैदान में उतरे 259 प्रत्याशियों में से 45 (17 फीसदी) उम्मीदवार करोड़पति हैं।
भाजपा के 43 तो कांग्रेस के 39 फीसदी उम्मीदवार करोड़पति
पार्टीवार विश्लेषण देखें तो तीनों राज्यों में भाजपा के सबसे ज्यादा 43 फीसदी उम्मीदवार करोड़पति हैं। इन राज्यों में पार्टी 135 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। 135 में से 58 प्रत्याशी करोड़पति हैं। दूसरे स्थान पर निर्दलीय हैं, 121 में से 27 (22 फीसदी) प्रत्याशी करोड़पति हैं।
कांग्रेस के 96 में से 37 (39 फीसदी) प्रत्याशी करोड़पति हैं। तृणमूल कांग्रेस के 84 उम्मीदवारों में से 31, एनपीपी के 69 उम्मीदवारों में से 50, यूडीपी के 46 उम्मीदवारों में से 30, सीपीआईएम के 43 उम्मीदवारों में से सात, टिपरा मोथा के 42 उम्मीदवारों में से नौ, एनडीपीपी के 40 उम्मीदवारों में से 34 और एनपीएफ के 22 उम्मीदवारों में से 13 की संपत्ति एक करोड़ रुपये से अधिक है।
39 फीसदी उम्मीदवार पांचवीं से 12वीं पास
चुनाव लड़ रहे 320 (39 फीसदी) उम्मीदवार ऐसे हैं जिनकी पढ़ाई केवल पांचवीं से 12वीं पास के बीच की है। वहीं 479 (59 फीसदी) उम्मीदवारों ने अपने हलफनामों में स्नातक या उससे ऊपर की शैक्षणिक योग्यता बताई है। 13 उम्मीदवार डिप्लोमा धारक हैं। चार प्रत्याशी केवल साक्षर हैं तो दो ऐसे भी हैं जो निरक्षर हैं।
61 से 80 वर्ष की आयु वाले 131 प्रत्याशी
25 से 40 वर्ष के बीच आयु के 216 (26 फीसदी) उम्मीदवार इस बार चुनावी मैदान में हैं। 459 (57 फीसदी) उम्मीदवारों ने अपनी आयु 41 से 60 वर्ष के बीच घोषित की है। 131 (16 फीसदी) उम्मीदवार ऐसे हैं जिनकी आयु 61 से 80 वर्ष के बीच है। 80 वर्ष से अधिक उम्र वाले दो उम्मीदवार हैं।
केवल नौ फीसदी महिलाएं चुनाव मैदान में
तीनों राज्यों के विधानसभा चुनावों में 818 में से मात्र 70 (नौ फीसदी) महिला उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। मेघालय में 375 उम्मीदवारों में से 36 (10 फीसदी), नगालैंड 184 में से 4 (दो फीसदी) और त्रिपुरा में 259 में से 30 (12 फीसदी) महिला प्रत्याशियों को चुनाव लड़ रहीं हैं।
पार्टियों ने आठ फीसदी दागियों को टिकट दिया
एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, तीनों राज्यों में चुनाव लड़ रहे 818 उम्मीदवारों में से 69 (आठ फीसदी) के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। वहीं, 40 (पांच फीसदी) उम्मीदवार गंभीर आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं।
प्रत्याशियों में से चार ऐसे हैं जिनके खिलाफ हत्या (आईपीसी की धारा-302) का मामला दर्ज है। वहीं, 12 उम्मीदवारों ने अपने हलफनामे में बताया है कि उनके खिलाफ हत्या के प्रयास का केस दर्ज है। चार उम्मीदवारों ने बताया है कि उनके खिलाफ महिला विरोधी अपराध से संबंधित केस दर्ज हैं। चार उम्मीदवारों में से एक उम्मीदवार ने दुष्कर्म से संबंधित मामला घोषित किया है और एक उम्मीदवार ऐसा भी है जिसके खिलाफ एक ही महिला से बार-बार दुष्कर्म करने के आरोप में मामला दर्ज है।
सीपीआईएम ने सबसे ज्यादा दागी उतारे
पार्टीवार आकड़ें देखें तो सबसे ज्यादा सीपीआईएम के 43 में से 13 उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज है। कांग्रेस के 96 उम्मीदवारों में से 13 ने अपने खिलाफ आपराधिक मामलों की जानकारी दी है। भाजपा के 135 में से 11 उम्मीदवार दागी हैं। तृणमूल कांग्रेस के 84 में से आठ प्रत्याशी आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं। अन्य दलों की बात करें तो एनपीपी के 69 में से छह, टिपरा मोथा के 42 में से चार, एनडीपीपी के 40 में से दो, एनपीएफ के 22 में से एक और यूडीपी के 46 में से एक उम्मीदवार दागी हैं।
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