भोपाल। प्रदेश के इतिहास में शायद ऐसा पहली बार हो रहा है कि पूरा साल बीत गया और विधानसभा समितियों का गठन ही नहीं हो पाया। वैसे तो ये समितियां सदन का लघु रूप मानी जाती हैं। सदन की बैठकें निर्धारित दिनों के लिए होती हैं, लेकिन ये समितियां पूरे समय काम करती हैं। इनका मुख्य काम सरकार के काम-काज पर निगरानी रखना है। गड़बडिय़ों को पकड़ कर संबंधितों की जिम्मेदारी भी ये समितियां तय करती हैं, लेकिन सालभर से सब ठप है। विधानसभा नियमों में सदन की डेढ़ दर्जन समितियों का उल्लेख है। चार समितियां तो वित्तीय मामलों की है। इनमें लोकलेखा समिति, प्राक्कलन समिति, सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति, अनुसूचित जाति जनजाति तथा पिछडे वर्ग के कल्याण संबंधी समिति, स्थानीय निकाय एवं पंचायतीराज लेखा समिति शामिल हैं।
देरी की वजह
मध्यप्रदेश विधानसभा में समितियों के गठन में देरी की वजह कोरोना वायरस और प्रदेश का राजनीतिक घटनाक्रम है। मार्च में मध्यप्रदेश में सियासी घटनाक्रम के कारण प्रदेश की सरकार बदल गई। नई सरकार बनते ही कोरोना वायरस के कारण देशभर में तीन चरणों का लॉकडाउन लग गया। कोरोना के कारण सदन की कार्यवाही भी सुचारू रूप से नहीं हो सकी। वहीं, प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के कारण भी देरी होती रही।
क्या है लोकलेखा समिति
इसका मुख्य काम सरकारी ख़र्चों के खातों की जांच करना है. इसका आधार हमेशा नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट ही होती है।
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