गुवाहाटी । असम कांग्रेस (Assam Congress) ने भाजपा के “राजनीतिक प्रतिशोध” (BJP’s “Political Vendetta”) को समाप्त करने के लिए (To End) राज्यपाल से हस्तक्षेप की (Governor’s Intervention) मांग की (Seeks) । विधानसभा में विपक्ष के नेता (एलओपी) देबब्रत सैकिया के नेतृत्व में कांग्रेस नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने असम के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया से राज्य में विपक्षी नेताओं के खिलाफ सत्तारूढ़ भाजपा के “राजनीतिक प्रतिशोध” को समाप्त करने के लिए हस्तक्षेप की मांग की है।
कांग्रेस नेताओं ने बुधवार शाम को राजभवन में राज्यपाल से मुलाकात की और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें आरोप लगाया गया कि हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व वाला राज्य का वर्तमान प्रशासन, सत्तारूढ़ दल की रचनात्मक आलोचना करने वाले विरोधी दलों की लोकतांत्रिक परंपरा का “गला घोंट” रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार किसी भी विरोधी आवाज को दबाने और विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने के लिए विभिन्न बहानों से प्रशासनिक मशीनरी का इस्तेमाल कर रही है।
ज्ञापन के अनुसार, “लोकतंत्र की सफलता काफी हद तक विपक्षी दलों की रचनात्मक भूमिका पर निर्भर करती है जो सत्तारूढ़ दल की निरंकुश प्रवृत्तियों पर अंकुश लगाती है। यह सरकार के नियमों और नीतियों की आलोचनात्मक जांच करती है और गलत नीतियों के खिलाफ आवाज उठाती है।” इसमें आगे कहा गया, “विपक्षी दल का मुख्य कर्तव्य सरकार की नीतियों की आलोचना करना है और इसलिए, लोकतंत्र में सरकार को जनता के प्रति जिम्मेदार और जवाबदेह बनाने के लिए विपक्ष को जगह दी जानी चाहिए।”
राज्यपाल से यह सुनिश्चित करने के लिए कार्रवाई करने का आग्रह करते हुए कि संविधान के लोकतांत्रिक आदर्शों को बनाए रखा जाए, टीम ने एक ऐसे माहौल का अनुरोध किया जिसमें विपक्षी दल स्वतंत्र रूप से अपने लोकतांत्रिक कर्तव्यों का पालन कर सकें। विधायक वाजेद अली, जाकिर हुसैन सिकदर, नुरुल हुदा, अब्दुल बातिन खांडाकर और आसिफ मोहम्मद नजर के अलावा लोकसभा सांसद अब्दुल खालिक भी प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे।
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