नई दिल्ली (New Delhi)। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा (Assam CM Himanta Biswa) ने एक खास इंटरव्यू में कहा कि वह ‘वोट बैंक की राजनीति’ में शामिल नहीं हैं और इसलिए, कांग्रेस के विपरीत, वो राजनीति को मुस्लिम समुदाय से जुड़े मुद्दों से नहीं जोड़ेंगे।
सरमा ने कहा कि फिलहाल, हमें मुस्लिम वोट नहीं चाहिए. सभी समस्याएं वोट बैंक की राजनीति के कारण होती हैं। मैं हर महीने एक बार मुस्लिम इलाके में जरूर जाता हूं, उनके कार्यक्रमों में शामिल होता हूं और लोगों से मिलता हूं, लेकिन मैं राजनीति को विकास से नहीं जोड़ता हूं। मैं चाहता हूं कि मुसलमानों को एहसास हो कि कांग्रेस के साथ उनका रिश्ता वोटों के बारे में है”
हिमंता बिस्वा सरमा, पूर्वोत्तर राज्य असम में बीजेपी की लगातार दूसरी जीत के बाद 2021 में सर्बानंद सोनोवाल की जगह असम के 15वें मुख्यमंत्री बने थे! उन्होंने बताया कि मुसलमानों के लिए यह समझना क्यों महत्वपूर्ण है कि भाजपा के साथ उनका रिश्ता वोटों से परे है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि “कांग्रेस ने मुस्लिम इलाकों में बुनियादी स्कूल नहीं बनाए] लेकिन मैं उनका विकास करना चाहता हूं. मैं 10-15 साल तक ऐसा करूंगा, फिर मुसलमानों से वोट मांगूंगा. अगर अभी मैं उनसे वोट मांगूंगा, तो ऐसे लगेगा कि देने और लेने का रिश्ता है, मैं नहीं चाहता कि यह लेन-देन का रिश्ता बने।”
सरमा ने कहा कि”मैंने असम के पिछले विधानसभा चुनाव में भी मुस्लिम इलाकों में प्रचार नहीं करने का फैसला किया था. 2016 और 2020 में प्रचार के दौरान मैं मुस्लिम इलाकों में नहीं गया. मैंने कहा था कि मैं चुनाव जीतने के बाद ही जाऊंगा. इस बार भी मैं उनसे कह रहा हूं कि आप जिसे चाहें वोट दें. बीजेपी उनके इलाके में प्रचार नहीं करेगी।”
बीजेपी ने 2021 में लगातार दूसरी बार विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज किया था. 126 सदस्यीय असम विधानसभा में 60 सीटों पर बीजेपी जीती थी, जबकि उसके गठबंधन सहयोगियों एजीपी को 9 सीटें और यूपीपीएल को 6 सीटें मिलीं थी।
हिमंता बिस्वा सरमा 2015 में कांग्रेस से बीजेपी में आए थे. उन्हें पूर्वोत्तर राज्यों में बीजेपी की पकड़ मजबूत करने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने सर्बानंद सोनोवाल सरकार में स्वास्थ्य विभाग भी संभाला था।
2016 में असम चुनाव में बीजेपी ने शानदार जीत दर्ज की थी. राज्य में लगातार तीन बार शासन करने वाली कांग्रेस की तरुण गोगोई सरकार को हराया था। इसका श्रेय काफी हद तक हिमंता बिस्वा सरमा की रणनीतियों को दिया गया था। इसके बाद अगले साल कांग्रेस से कम सीटें जीतने के बावजूद बीजेपी ने मणिपुर में सरकार बनाई थी।
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