शहडोल: क्लाइंबिंग वॉल खेल में अब बहुत जल्द मध्यप्रदेश के आदिवासी बच्चे भी अपना हुनर अतंरराष्ट्रीय स्तर पर दिखा सकेंगे. आदिवासी बच्चों के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने विशेष रूप से एशिया की सबसे बड़ी स्पोर्ट्स क्लाइंबिंग वॉल का निर्माण कराया गया है. यह दीवार शहडोल जिले के विचारपुर में बनाई गई है. इस क्षेत्र में आदिवासी समुदाय की बहुत ज्यादा है. बताया जा रहा है कि अधिकारियों का तर्क यह है कि शहरी बच्चों की तुलना में आदिवासी बच्चे शारीरिक तौर पर ज्यादा मजबूत होते हैं इसलिए उन्हें इसकी ट्रेनिंग दी जाएगी.
शहडोल (Shahdol) के विचारपुर (Vicharpur) में 6 करोड़ रुपये की लागत से यह क्लाइंबिंग वॉल (climbing wall) बनाई गई है. इस वॉल का काम लगभग पूरा हो चुका है जो कि छात्रों की प्रैक्टिस के लिए बहुत जल्द ओपन की जाएगी. बता दें कि इस खेल का यूरोपियन देशों (european countries) में बहुत जोर है. ओलंपिक (Olympics) खेलों में भी इसे शामिल किया जाता है. इस स्पोर्ट्स को सिखाने के लिए खासतौर पर भोपाल से ट्रेनर उमेश शर्मा को बुलाया गया है. उमेश बताते हैं कि फिलहाल भारत की स्थिति इस खेल में बहुत खराब है.
भारत का स्थान 31वां
उमेश ने आगे बताया कि 2023 के ओलंपिक खेलों में हमारी हाईएस्ट पोजीशन इस स्पोर्ट्स में 31वें नंबर पर रही है. मणिपुर के रहने वाले चिरंवई मावबाम ने इस खेल में भारत का प्रतिनिधित्व किया था. उन्होंने बताया कि ओलंपिक में इस तरह के खेलों में जापान, चीन, इंडोनेशिया, कोरिया, फ्रांस, ईरान और रूस जैसी जगहों का दबदबा रहता है. लेकिन उन्हें उम्मीद है कि बहुत जल्द भारत भी इस खेल में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दूसरे देशों को टक्कर देगा.
आदिवासी बच्चों के लिए मुफ्त
आदिवासी समुदाय के बच्चों के लिए यहां पर प्रैक्टिस पूरी तरह से निशुल्क रहेगी. यहां पर 100 सीटर का छात्रावास भी बनाया गया हैं जहां पर बच्चों के लिए विशेष सुविधाएं रखी जाएंगी. इस क्षेत्र में रहने वाले युवाओं को इस खेल की मदद से सेना भर्ती में भी सीधा फायदा मिलेगा. इसके अलावा यहां के छात्रों को इस क्लाइंबिंग वॉल से पर्वतारोही बनने और रेस्क्यू ऑपरेशन भी सीखने में मदद मिलेगी. एमपी में सिर्फ तीन जगहों पर इस तरह की वॉल है जिसमें भोपाल के बरकतउल्ला विश्विद्यालय और दयानंद स्कूल में लगी यूनिट फिलहाल कोविड के बाद से बंद है.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved