भोपाल। अब सभी यह जानते हैं और मानते भी हैं कि परंपरागत विद्युत उत्पादन पर्यावरण के लिये नुकसानदायक होने के साथ जिन जीवाश्म ईंधन भण्डारों को बनने में लाखों साल लग जाते हैं, निरंतर दोहन से उनके भी समाप्त होने का खतरा उत्पन्न होता जा रहा है। ऐसे में नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा बेहतर विकल्प के रूप में सामने आई है। मध्यप्रदेश देश का बड़ा सौर ऊर्जा केन्द्र बनकर उभर रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chauhan) के नेतृत्व में प्रदेश ने सौर ऊर्जा के क्षेत्र में पिछले डेढ़ दशक में तेज छलांग लगायी है। प्रदेश में एशिया की सबसे बड़ी 750 मेगावाट और 4000 करोड़ लागत की रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर परियोजना से उत्पादन शुरू हो चुका है। वहीं विश्व की सबसे बड़ी 600 मेगावाट की ओंकारेश्वर सोलर फ्लोटिंग परियोजना का निर्माण प्रस्तावित है। इसके वर्ष 2023 तक पूरा होने की संभावना है। विश्व में अधिकांश विकास विद्युत पर आश्रित है।
नवकरणीय ऊर्जा उत्पादन 30 मेगावाट से बढ़कर 5 हजार 44 मेगावाट पहुँचा
प्रदेश में विद्युत की खपत और आपूर्ति में नवकरणीय ऊर्जा की लगभग 24 प्रतिशत भागीदारी है। वर्ष 2004 तक इन परियोजनाओं की क्षमता मात्र 30 मेगावाट थी, जो जनवरी 2021 की स्थिति में 5 हजार 44 मेगावाट पहुँच चुकी है। सौर ऊर्जा से 2381 मेगावाट, पवन ऊर्जा से 2444, बायोमास से 120 और लघु जल विद्युत ऊर्जा से 99 मेगावाट विद्युत का उत्पादन हो रहा है।
रीवा ने आज वाकई इतिहास रच दिया है। सफेद बाघ के नाम से जाने जाना वाला रीवा अब सोलर प्लांट के नाम से भी जाना जाएगा। यहाँ खेतों में लगे हजारों पैनल ऐसा अहसास दिलाते हैं, मानो खेतों में पैनल की फसल लहलहा रही हो या गहरे समंदर का नीला पानी हो। इस अभूतपूर्व कार्य के लिये मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, क्षेत्र की जनता सहित पूरी टीम बधाई की पात्र है।
एशिया की सबसे बड़ी परियोजना है रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर परियोजना
एशिया की सबसे बड़ी सौर परियोजना मध्यप्रदेश (Asia’s largest solar project Madhya Pradesh) के रीवा जिले की गुढ़ तहसील के ग्राम बरसेता पहाड़, बदवार, रामनगर पहाड़, ईटार पहाड़ की असिचिंत भूमि पर स्थापित है। दुनिया की सबसे सुनियोजित तरीके से स्थापित परियोजना को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 10 जुलाई 2020 को राष्ट्र को समर्पित किया। परियोजना से अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर की कम्पनियों की सहभागिता से सबसे कम टैरिफ रिकार्ड रूपये 2.97 प्रति यूनिट (बिना अनुदान के) प्राप्त हुई है। उत्पादित बिजली का 76 प्रतिशत अंश प्रदेश की पावर मैनेजमेंट कम्पनी और शेष 24 प्रतिशत दिल्ली मेट्रो को जा रहा है। सस्ती बिजली मिलने से दिल्ली मेट्रो को 793 करोड़ रूपये की बचत हो रही है। इसी तरह प्रदेश को भी 1600 करोड़ रूपये की बचत होगी। परियोजना की स्थापना से पहली बार ग्रीन एनर्जी फण्ड प्राप्त करने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है। परियोजना से प्रदेश की बिजली पर आत्म-निर्भरता बढ़ने के साथ मध्यप्रदेश का विश्व स्तर पर महत्व भी बढ़ा है।
प्रदेश में बड़े सौर ऊर्जा पार्क (Solar power park) बनाने की प्रक्रिया भी प्रारंभ हो गई है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2022 तक देश में एक लाख मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है। लक्ष्य को पूरा करने में मध्यप्रदेश बड़ी भागीदारी निभाएगा। आगामी सौर परियोजनाओं के माध्यम से 10 हजार मेगावाट से अधिक सौर ऊर्जा उत्पादित होगी। प्रदेश का सबसे बड़ा 1500 मेगावाट का सौर ऊर्जा पार्क शाजापुर, आगर और नीमच जिलों में 6 हजार करोड़ रूपये से स्थापित किया जाएगा। सोलर पार्क से मार्च 2022 तक उत्पादन संभावित है। उत्पादित विद्युत को मध्यप्रदेश पावर मैनेजमेंट कम्पनी को दिया जाएगा। इसका सीधा लाभ प्रदेश की प्रगति को मिलेगा। इसके अतिरिक्त छतरपुर जिले में 950 और मुरैना जिले में 1400 मेगावाट के सौर ऊर्जा पार्क स्थापित होंगे। इस तरह आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के तहत नीमच, शाजापुर, आगर, मुरैना, छतरपुर और सागर जिलों में 18 हजार करोड़ रूपये से लगभग 4500 मेगावाट के सोलर पार्कों का विकास किया जाएगा।
तीन हजार करोड़ रूपये से विश्व के सबसे बड़े 600 मेगावाट के ओंकारेश्वर सोलर फ्लोटिंग प्लांट जल्दी ही शुरू होगा। परियोजना के लिये लगभग 2 हजार हेक्टेयर जल क्षेत्र चिन्हांकित कर लिया गया है। वर्ल्ड बैंक द्वारा इसका सर्वे कार्य किया जा रहा है। इसे 2023 तक पूरा कर लिया जाएगा।
सोलर रूफटॉप परियोजनाओं से 41 मेगावाट के कार्य
प्रदेश में सोलर रूफटॉप परियोजनाएँ काफी महत्वपूर्ण हैं। अब-तक 41 मेगावाट के 3 हजार 642 कार्य विभिन्न स्तरों पर कार्यशील हैं। प्रदेश के पुलिस विभाग के भवनों, स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, जेल, तकनीकी संस्थान आदि शासकीय भवनों की छतों पर रूफटॉप परियोजनाऍं स्थापित की जा रही हैं। इस वर्ष 2021-22 में 40 मेगावाट क्षमता के सौर रूफटॉप संयंत्रों को बड़े शासकीय भवनों में स्थापित किया जाना है। मध्यप्रदेश के सोलर रूफटॉप कार्यक्रम में कई नवाचार किये गये, जिन्हें राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहना के साथ इनका अनुसरण भी किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री कुसुम-‘अ’ योजना से किसानों को होगी अतिरिक्त आमदनी
यह किसानों की आर्थिक उन्नति वाली योजना है। किसान अपनी कम उपजाऊ या बंजर जमीन पर सोलर संयंत्र की स्थापना कर राज्य शासन को न केवल बिजली बेच सकेंगे बल्कि खुद भी भरपूर इस्तेमाल कर सकेंगे। परियोजना में प्रदेश के 357 किसानों ने अपनी 2 हजार 961 एकड़ भूमि पर 600 मेगावाट क्षमता की सोलर परियोजनाएँ लगाने की सहमति दी है। विकासकों के चयन के लिये निविदा जारी कर दी गई है। वर्ष 2021-22 के लिये 100 मेगावाट का लक्ष्य रखा गया है।
प्रधानमंत्री कुसुम-‘स’ योजना, 25 हजार पम्पों को सोलराइज करने का लक्ष्य
योजना में खेती के लिये किसानों के यहाँ स्थापित ग्रिड कनेक्टेड सिंचाई पम्पों को सोलराइज करने का काम किया जा रहा है। इसमें कृषि फीडर को सोलराइज कर किसानों को सिंचाई के लिये नि:शुल्क बिजली उपलब्ध कराने के साथ अतिरिक्त आय का अवसर भी मिलेगा। खेत में उचित क्षमता का सोलर पावर पैक स्थापित कर पम्प को ऊर्जित किया जायेगा। किसान को अतिरिक्त उत्पादित होने वाली बिजली का लाभ अतिरिक्त आय के रूप में मिलेगा। वर्ष 2021-22 में 25 हजार ग्रिड कनेक्टेड सोलर पम्पों को सोलराइज करने का लक्ष्य है।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर प्रदेश में लागू की गई मुख्यमंत्री सोलर पम्प योजना से किसानों को बहुत फायदा हुआ है। दूर-दराज इलाकों में भी किसान सोलर पम्प की सहायता से भरपूर सिंचाई कर फसलें ले रहे हैं। फसलें वर्षा आश्रित न रहने से गाँव से पलायन भी रूका है। वर्तमान वर्ष में अब-तक 6 हजार 871 सोलर पम्प स्थापित किये जा चुके हैं और लगभग 23 हजार 500 किसानों ने सोलर पम्प स्थापना के लिये पंजीयन कराया है। राज्य शासन का जुलाई 2023 तक 45 हजार सोलर पम्प स्थापना का लक्ष्य है।
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