धार (Dhar)। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के धार जिले (Dhar district) में स्थित 11वीं सदी की इमारत भोजशाला (Bhojshala) के कुछ हिस्सों में कथित खुदाई के विरोध में शुक्रवार को मुस्लिम समुदाय (Muslim community) के लोगों ने काली पट्टी (black bands) बांधकर यहां नमाज अदा की। उन्होंने खुदाई को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के निर्देश का उल्लंघन बताया। उधर हिंदू पक्ष के वकील शिरीष दुबे ने कहा कि मुस्लिम समुदाय (Muslim community) के नेता इस मुद्दे पर शीर्ष अदालत के निर्देश की गलत व्याख्या कर रहे हैं।
अदालत के आदेश पर हो रहे सर्वेक्षण के तहत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा की गई कथित खुदाई का विरोध करने के लिए बड़ी संख्या में मुस्लिम लोग काली पट्टी बांधकर शुक्रवार को नमाज अदा करने के लिए पहुंचे थे। बता दें कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के निर्देश के बाद ASI द्वारा पिछले 64 दिन से भोजशाला की संरचना का सर्वेक्षण किया जा रहा है।
शुक्रवार की नमाज के बाद कमाल मौला मस्जिद के अधिकारी जुल्फिकार पठान ने संवाददाताओं से कहा, ‘हमने राष्ट्रपति को संबोधित करते हुए एक ज्ञापन सौंपा है जिसमें कहा गया है कि परिसर में भौतिक खुदाई न करने के शीर्ष अदालत के निर्देश के बावजूद, ASI मस्जिद की दीवारों की खुदाई कर रहा है और उन्हें कमजोर कर रहा है।’
उन्होंने कहा कि समुदाय के नेताओं ने पिछले शुक्रवार को यह मुद्दा उठाया था और घोषणा की थी कि अगर ASI के सर्वेक्षण के तरीके में कोई बदलाव नहीं हुआ तो वे विरोध स्वरूप काली पट्टी बांधेंगे। पठान ने कहा कि वे मौन विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन अगर उनकी मांग नहीं सुनी गई तो वे अपना आंदोलन तेज करेंगे।
इससे पहले अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ने भोजशाला परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण पर रोक लगाने से यह स्पष्ट करते हुए इनकार कर दिया था, कि वहां कोई भी ऐसा भौतिक उत्खनन नहीं किया जाना चाहिए जिससे कि संबंधित परिसर का चरित्र बदल जाए।
उधर हिंदू पक्ष के वकील शिरीष दुबे ने मुस्लिम समुदाय के आरोपों को कोर्ट के फैसले की गलत व्याख्या बताया। दुबे ने कहा, ‘उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि खुदाई इस तरह से की जानी चाहिए कि इससे स्थल की मूल संरचना में बदलाव न हो। ASI आवश्यकता के अनुसार अपना सर्वेक्षण कर रहा है।’ उन्होंने दावा किया कि मुस्लिम समुदाय के नेता शीर्ष अदालत के निर्देश की गलत व्याख्या कर रहे हैं और इस मुद्दे पर भ्रामक अभियान चला रहे हैं।
ASI द्वारा संरक्षित इस 11वीं सदी के स्मारक भोजशाला को हिंदू समाज के लोग वाग्देवी (देवी सरस्वती) को समर्पित एक मंदिर मानते हैं, जबकि मुस्लिम समुदाय इसे कमाल मौला मस्जिद कहता है। सात अप्रैल, 2003 को ASI द्वारा की गई एक व्यवस्था के तहत हिंदू समाज के लोग मंगलवार को भोजशाला परिसर में पूजा करते हैं, और मुस्लिम शुक्रवार को परिसर में नमाज अदा करते हैं।
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