नई दिल्ली। ऑस्ट्रेलियाई दौरे से गेंद से शानदार वापसी करने वाले रविचंद्रन अश्विन (Ravichandran Ashwin) चार टेस्ट मैचों की सीरीज में इंग्लैंड के साथ डीआरएस (डिसीजन रिव्यू सिस्टम) लेने में विराट कोहली के कई मौकों पर असफल साबित हुए हैं। अश्विन ने यह स्वीकार किया कि भविष्य में वह डीआरएस लेने की अपनी क्षमताओं को बेहतर करने की कोशिश करेंगे, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि डीआरएस (DRS) की खराब कॉल में सारा दोष उनका ही नहीं है। उन्होंने कहा कि विकेटकीपर ऋषभ पंत (Rishabh Pant) ने ‘उन्हें निराश किया’ है। अश्विन ने कहा है कि पंत ऐंगल और उछाल का सही अंदाजा नहीं लगा पाए और इसी वजह से उन्हें मदद नहीं मिली।
अश्विन ने इंडिया टुडे को दिए एक इंटरव्यू में कहा, ”मुझे लगता है कि हमें वह लेंस बदलना होगा, जिससे लोग डीआरएस लेते समय मुझे देखते हैं। इंग्लैंड के साथ सीरीज से पहले मेरी डीआरएस लेने की निर्णायक क्षमता अच्छी थी, क्योंकि आप डीआरएस विकेटकीपर की सलाह पर ही लेते हैं। मैं जानता हूं कि कब गेंद इनलाइन थी और कब नहीं। इस मामले में विकेटकीपर मदद करता है। हम रवि भाई (रवि शास्त्री) से इस बारे में बात करते हैं, उन्हें भी मुझसे काफी शिकायत है।”
34 वर्षीय इस स्पिनर ने कहा, ”ईमानदारी से कहूं तो इस मामले में मैं कुछ इंप्रूव करता हूं तो भविष्य में बेहतर डीआरएस ले सकूंगा।” रविचंद्रन अश्विन हमेशा एलबीडब्ल्यू के लिए अपील करते हैं। कैमरे में दिखाई देता है कि वह कप्तान विराट कोहली को कंवीन्स कर रहे हैं, लेकिन इनमें से अधिकांश तीसरे अंपायर द्वारा अस्वीकार कर दिए जाते हैं।
अश्विन और कोहली की डीआरएस लेने की क्षमता बहुत खराब है। महेंद्र सिंह धोनी के इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद साफतौर पर देखा जा सकता है कि टीम ने कई मौकों पर बेहद खराब रिव्यू लिए हैं। कुछ लोगों का तो यह कहना है कि यह इतिहास में सबसे खराब है। बावजूद इसके अश्विन इस टूर्नामेंट में टॉप परफॉर्मर रहे हैं। इंग्लैंड के खिलाफ चार मैचों की टेस्ट सीरीज की 8 पारियों में उन्होंने 32 विकेट लिए हैं। उनका औसत 14।72 है। उन्होंने 3 बार पांच या उससे अधिक विकेट लिए हैं। दूसरे टेस्ट में चेन्नई में उन्होंने मैच विनिंग शतक लगाया था। उन्हें ‘मैन ऑफ द मैच’ घोषित किया गया। भारत यह सीरीज 3-1 से जीता।
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