वाशिंगटन। अमेरिका के पूर्व विदेश सचिव माइक पोम्पिओ ने अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी को लेकर बड़ा दावा किया है। अपनी पुस्तक ‘नेवर गिव एन इंच: फाइटिंग फॉर द अमेरिका आई लव’ ने लिखा है कि मैं जितने भी वैश्विक नेताओं से मिला हूं, उसमें अशरफ गनी सबसे बड़े धोखेबाज थे।
माइक पोम्पिओ ने कहा, अशरफ गनी किसी भी तरह से सत्ता में बना रहना चाहते थे और इसके लिए वह किसी भी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहते थे। उन्होंने कहा, तालिबान के साथ शांति वार्ता में गनी सबसे बड़ी बाधा थे। बता दें, अमेरिकी सेना की अफगानिस्तान से वापसी के बाद तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया, जिसके बाद अशरफ गनी देश छोड़कर भाग गए थे।
धोखाधड़ी से गनी ने जीता था चुनाव
पोम्पिओ ने अपनी किताब में दावा किया कि गनी ने चुनाव बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी के कारण जीता था। गणना के अनुसार गनी ने देश के मुख्य कार्यकारी अब्दुल्ला अब्दुल्ला को हराया था, लेकिन सच्चाई यह थी कि गनी ने अन्य उम्मीदवारों की तुलना में मतदाताओं और वोट काउंटरों को अधिक रिश्वत दी थी। पोम्पियो ने कहा, गनी और अब्दुल्ला अब्दुल्ला दोनों उच्चतम स्तर पर भ्रष्टाचार में शामिल थे और दोनों किसी भी तरह से सत्ता चाहते थे। उन्होंने कहा, बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार ने अमेरिका की युद्ध से सफलतापूर्वक बाहर निकलने की क्षमता को सीमित कर दिया था।
शांतिवार्ता में सबसे बड़ी बाधा थे गनी
पोम्पिओं ने कहा, मैं दुनिया के कई नेताओं से मिला, यह मेरा पसंदीदा काम था। उन्होंने कहा, तालिबान के साथ शांतिवार्ता में गनी हमेशा एक बाधा बने रहे। जब आपके पास किम जोंग-उन, शी जिनपिंग)और व्लादिमीर पुतिन जैसे नेता हैं, फिर भी इन सबके बीच गनी बहुत बड़े धोखेबाज थे। उन्होंने अपनी किताब में लिखा कि मुझे कभी नहीं लगा कि वह अपने देश के लिए जोखिम उठाने के लिए तैयार हैं, जो उनकी सत्ता को खतरे में डाल सकता है। इससे मुझे घृणा हुई। उन्होंने कहा, जबकि तालिबान एक वास्तविक खतरा था और ट्रंप प्रशासन ने तालिबान से बातचीत के लिए पूर्व राजनयिक जलमय खलीलजाद को विशेष दूत नियुक्त किया था।
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