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अशरफ गनी बोले- अफगानिस्तान का राष्ट्रपति होना धरती की सबसे खराब जॉब

July 24, 2021

वाशिंगटन. अमेरिका की इंटेलिजेंस रिपोर्ट के मुताबिक छह महीनों के भीतर डॉ. गनी की सरकार गिर सकती है. पूरे अफगानिस्तान पर तालिबानियों के कब्जे की आशंका है. गनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और महिला अधिकारों के पैरोकार हैं. हालांकि 2017 में उनकी एक टिप्पणी विवादित रही थी. इस पर उन्होंने महिलाओं से माफी भी मांगी थी.

अफगानिस्तान के राष्ट्रपति डॉ. अशरफ गनी अहमदजई (Ashraf Ghani Ahmadzai) ने अक्टूबर 2017 में बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि अफगानिस्तान का राष्ट्रपति होना इस धरती की सबसे खराब नौकरी (Job) है. डॉ. गनी ने जब यह बात कही, तब शायद उन्हें अंदाजा नहीं रहा होगा कि हालात और भी बदतर होने वाले हैं. यह दक्षिण एशियाई देश फिर से खूनी संघर्ष की ओर बढ़ रहा है. दो दशकों बाद अमेरिकी सेनाएं अफगानिस्तान छोड़कर स्वदेश लौट रही हैं.

सितंबर तक सारे सैनिक वापस अमेरिका लौट जाएंगे. खबर है कि तालिबान आधे अफगानिस्तान पर कब्जा कर चुका है. निर्दोष अफगानी नागरिक मारे जा रहे हैं. तालिबान की शर्त है कि जब तक डॉ. गनी राष्ट्रपति रहेंगे, शांति वार्ता नहीं हो सकेगी. 72 साल के डॉ. गनी पिछले साल ही अफगानिस्तान के दूसरी बार राष्ट्रपति चुने गए हैं. अफगानिस्तान की अस्थिर राजनीति में डॉ. गनी अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी अब्दुल्ला अब्दुल्ला को हराकर राष्ट्रपति बने थे.


इसके लिए भी दोबारा मतगणना करानी पड़ी थी. इसके पहले 2014 के राष्ट्रपति चुनाव में भी यही स्थिति बनी थी. कभी अमेरिकी नागरिक रहे डॉ. गनी अकादमिक विद्वान हैं और अफगानिस्तान में विकास कार्यों के पीछे की वजह माने जाते हैं. गनी कहते हैं कि उनकी अफगानी सेनाएं तालिबानियों का मुकाबला करने के लिए तैयार हैं. इस अस्थिरता के बीच अफगानिस्तान और डॉ. अशरफ गनी पर दुनियाभर की निगाहें टिकी हैं.

डॉ. गनी अफगानिस्तान के लोगार प्रांत में पैदा हुए. लेबनान में बेरूत स्थित अमेरिकन यूनिवर्सिटी में एंथ्रोपोलॉजी (मानवशास्त्र) की पढ़ाई की. इसके बाद वापस अफगानिस्तान आकर काबुल में एंथ्रोपोलॉजी पढ़ाने लगे. इस बीच अफगानिस्तान की कम्युनिस्ट पार्टी सरकार ने गनी के कई परिजनों और रिश्तेदारों को नजरबंद कर दिया. उनके कई पूर्व छात्रों को परेशान करने के साथ उनकी हत्या भी कर दी गई.

इससे परेशान गनी 1977 में अफगानिस्तान छोड़कर अमेरिका चले गए। वहां उन्होंने कोलंबिया यूनिवर्सिटी में एंथ्रोपोलॉजी में मास्टर्स और फिर पीएचडी पूरी की. अमेरिका की नागरिकता लेकर जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, बर्कले में एंथ्रोपोलॉजी पढ़ाने लगे. डॉ. गनी दारी, पश्तु, अंग्रेजी, अरेबिक, उर्दू, फ्रेंच, रसियन और हिंदी जानते हैं.

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