अशोकनगर। जिले के बहादुरपुर कस्बा अंतर्गत बीते दिन अंचल की नदियों ने कहर ढा दिया। कैथन, मोला और कोंचा नदियों में बाढ़ का इतना पानी आया कि 20 गांव जलमग्न हो गए। कुछ बस्तियां तो ऐसी तबाह हुई हैं कि कल तक जहां लोगों की चहल-पहल गूंजती थी, वहां अब मिट्टी के ढेरों के सिवाय कुछ नहीं बचा। शनिवार को जब बाढ़ का पानी उतरा, तब सच्चाई सामने आई।
अंचल की गोरा चक, मलउखेड़ी, सिरसौरा, बर्री, बेरखेड़ी, कुम्हर्रा, खोपरा, हाजूखेड़ी, जशनखेड़ी, घाट बमुरिया, मथाना, रमपुरा, खैरखाड़ी, रुसल्ली, इकोदिया, गुपलिया, बरखेड़ा जमाल, सुमेर व बहादुरपुर बस्ती में बाढ़ से सर्वाधिक नुकसान पहुंचा है। इन सभी गांवों में करीब एक हजार कच्चे मकान जमींदोज हो गए तो कई पक्के मकानों में दरारें चल गईं।
बहादुरपुर के पुराना बाजार में घाटी पर बना एक पक्का मकान नदी में समा गया तो महेश पाठक के तीन मंजिला पक्के मकान में दरार चल गई और यह मकान एक फीट खिसक गया। इसी तरह नदी की बाढ़ ने गोपाल कोरी, गोपाल मिर्दा, खलक सिंह मिर्दा, गोविंद मिर्दा, सीताराम अहिरवार, सोना सेन, फेरन सिंह, रघुवीर अहिरवार, धनबाई अहिरवार, इमरत पाल, बंटी पाल, मोहरबाई पाल, आज्ञाराम पाल, कमलेष वाल्मीकि, संजय वाल्मीकि के सहित करीब साठ मकानों को मिट्टी की मानिंद ढहा दिया।
गुरुवार को करीब दो मकानों में पानी भर गया था, सुबह जब पानी उतरा तो मकान-दुकानों में भरी गंदगी को हटाने में बहुत मशक्कत करनी पड़ी। जिन लोगों के मकान ढह गए थे वह उनमें से साबुत बचा सामान निकालने की जद्दोजहद में थे। बेघर हुए लोगों को ग्राम पंचायत भवन, विद्या कांवेंट स्कूल, हायर सेकेंडरी स्कूल, हथकरघा भवन में ठहराया गया था। वहीं ऊंचाई पर बने आवासों के मालिकों ने भी अपने घर बाढ़ प्रभावितों के लिए खोल दिए थे। शुक्रवार रात में कस्बे के युवाओं ने भोजन के पांच सौ पैकेट बना कर बाढ़ पीडि़तों को बांटे।
ग्राम पंचायत व प्रशासन द्वारा बाढ़ पीडि़तों को आश्रय स्थल में तो ठहरा दिया गया था लेकिन उनके खाने-पीने की कोई व्यवस्था नहीं की। जिससे बच्चे एक-एक रोटी के लिए तरसे। कस्बे की एक छात्रा मुस्कान प्रजापति का लैपटॉप बाढ़ में बह गया। छात्रा ने रोते-बिलखते बताया कि कंप्यूटर से जुड़े कैरियर की तैयारी व ऑनलाईन कक्षाओं के लिए उसने यह लैपटॉप पाई-पाई जोड़ कर खरीदा था।
मुख्यालय पर नहीं पहुंच सके तहसीलदार सहित अन्य:
मोला नदी का पानी गुरुवार को पुल पर सुबह 9 बजे आ गया। ऐसे में बाढ़ की सूचना पर आ रहे तहसीलदार सोनू गुप्ता सुमेर में ही फंस गए। वहीं पटवारी राजेश श्रीवास्तव गुना में आए जलप्लावन के कारण नहीं आ सके। ग्राम पंचायत सचिव बीपी तिवारी भी मोला नदी के उफान पर होने के कारण नहीं आ सके। हालांकि राज्यमंत्री बृजेन्द्र सिंह यादव, कलेक्टर अभय वर्मा, एसपी रघुवंश सिंह भदौरिया, एसडीएम राहुल गुप्ता दूसरे रास्ते से बहादुरपुर पहुंचे और ऊंचाई से बाढ़ का जायजा लिया। बचाव कार्य के लिए रवाना हुई एसडीआरएफ एवं एनडीआरएफ की टीम भी रास्ता भटकने के कारण नहीं पहुंच सकी।
सतहरी पर सड़क उखड़ी, कुकावली में ग्रामीणों ने खोदी, पुल के स्लोव धंसे:
कैथन नदी की बाढ़ का पानी जब खेतों पर भरकर ओव्हरफ्लो हो गया तो सतहरी के निकट सड़क बहाव में उखड़ गई। नेशनल हाईवे पर करीब बीस मीटर सड़क उखड़ गई और गहरा गड्डा हो गया। इसी के आगे घाट बमुरिया के पुल के दोनों स्लोव कैथन के तेज बहाव में धंस गए। पुलिस व प्रशासन ने दोनों ओर से वाहनों की आवाजाही पर सख्ती से रोक लगा दी। कुकावली पर पानी घरों में भर गया तो उसे निकालने के लिए ग्रामीणों ने सड़क को खोद दिया। वहीं गीलारोपा में पानी भरने के कारण एक पुलिया को तोड़ा गया है।
बाढ़ नहीं लेकिन तेज बरसात से गिर गए मकान:
क्षेत्र के अमोंदा, हारूखेड़ी, झागर बमुरिया, पिपरौदा, बरखुवा आदि गांवों में तेज बरसात के कारण दर्जनों मकान गिर गए। इनमें रहने वाले परिवारों को भी आश्रय स्थलों में ठहराया गया है। दस अगस्त तक भारी बारिश के अलर्ट के चलते बर्री, सिरसौरा, मलउखेड़ी आदि गांवों के रहवासियों को भी बस्तियां खाली कराकर आश्रय स्थलों में ठहराया गया। कलेक्टर और एसपी षनिवार को गोरा, बर्री व मलउखेड़ी पहुंचे और बाढ़ प्रभावितों का जायजा लिया। सिरसौरा में एसडीआरएफ की टीम ने करीब सौ लोगों का रेस्क्यू पुलिस के साथ मिलकर किया।
36 घंटे से गुल बिजली, तेज बहाव में बह गए ट्रांसफार्मर और बिजली के खंभे:
बहादुरपुर कस्बा सहित अंचल की बिजली पिछले 36 घंटे से गुल है। बाढ़ का पानी जैसे ही बस्ती में भरा तो एहतियातन सप्लाई बंद कर दी गई थी। वहीं बाढ़ के पानी में गोरा फीडर की लाईन और खंभे बह गए। कई गांवों में ट्रांसफार्मर भी बाढ़ में बह गए। मोला नदी के पुल की रैलिंग भी बाढ़ से बह गई। (एजेंसी, हि.स.)
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