इंदौर। नए संसद भवन (new parliament building) की छत पर मूर्ति के रूप में स्थापित राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ (National Emblem Ashoka Pillar) के शेरों को कथित रूप से उग्र तेवरों में दिखाए जाने के विवाद के बीच चित्रकार दीनानाथ भार्गव (Painter Dinanath Bhargava) का नाम फिर चर्चा में आ गया है। दिवंगत चित्रकार के परिजनों का कहना है कि उन्होंने संविधान की मूल प्रति के लिए सारनाथ (Sarnath) के अशोक स्तंभ की तस्वीर बनाने से पहले, कोलकाता के चिड़ियाघर (Kolkata Zoo) में शेरों के हाव-भाव पर तीन महीने तक बारीक नजर रखी थी। इसके बाद उन्होंने इसे तस्वीर में उतारा था।
भार्गव की पत्नी प्रभा (85 साल) ने बताया, ‘स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने संविधान की मूल प्रति डिजाइन करने का जिम्मा रवींद्रनाथ टैगोर के शांति निकेतन के कला भवन के प्राचार्य और मशहूर चित्रकार नंदलाल बोस को सौंपा था।’ उन्होंने बताया कि बोस ने अशोक स्तंभ की तस्वीर बनाने का अहम काम उनके पति को सौंपा था जो उस वक्त उनकी युवावस्था में शांति निकेतन में कला की पढ़ाई कर रहे थे।
प्रभा भार्गव ने बताया, ‘अपने गुरु बोस के इस आदेश के बाद मेरे पति लगातार तीन महीने कोलकाता के चिड़ियाघर गए थे और उन्होंने वहां शेरों के उठने-बैठने व उनके हाव-भाव पर बारीक नजर रखी थी।’ गौरतलब है कि संविधान की मूल प्रति के लिए भार्गव के चित्रित अशोक स्तंभ की एक प्रतिकृति उनके इंदौर स्थित घर में उनके परिजनों ने आज भी सहेज रखी है। परिजनों के मुताबिक भार्गव ने इस प्रतिकृति को देश की आजादी के बरसों बाद 1985 के आस-पास पूरा किया था।
सोने के वर्क के इस्तेमाल से तैयार इस प्रतिकृति में दिखाई दे रहे तीनों शेरों का मुंह थोड़ा खुला है और उनके दांत भी नजर आ रहे हैं। इसमें नीचे की ओर सुनहरे अक्षरों में ‘सत्यमेव जयते’ लिखा है। बहरहाल, भार्गव की बहू सापेक्षी ने इस सवाल पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि संविधान में अशोक स्तंभ के शेरों को लेकर उनके ससुर की बनाई मूल तस्वीर और नए संसद भवन की छत पर हाल ही में स्थापित मूर्ति आपस में मेल खाती है या नहीं? उन्होंने कहा,”मैं इस विवाद में नहीं पड़ना चाहती, लेकिन किसी भी चीज की तस्वीर और उसकी मूर्ति में स्वाभाविक तौर पर थोड़ा फर्क तो होता ही है।”
भार्गव की बहू ने कहा कि उनके दिवंगत ससुर के नाम पर मध्यप्रदेश में किसी स्थान या संग्रहालय या कला वीथिका का नामकरण किया जाना चाहिए ताकि उनकी चित्रकला की ऐतिहासिक विरासत हमेशा जिंदा रहे। उन्होंने कहा कि उनके परिवार की यह मांग राजनेताओं के कई आश्वासनों के बावजूद अब तक पूरी नहीं हो सकी है। मूलतः बैतूल जिले के मुलताई से ताल्लुक रखने वाले दीनानाथ भार्गव का इंदौर में 24 दिसंबर 2016 को 89 वर्ष की उम्र निधन हो गया था।
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